AH Wheeler Book Store के सफर की कहानी, प्रयागराज से कैसे हुई शुरुआत और फिर देशभर में लहराया परचम

AH Wheeler Book Store अंग्रेजी नाम की ब्रांड वैल्यू अधिक रहेगी तो लंदन में प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं में से एक अपने करीबी मित्र आर्थर हेनरी व्हीलर (एएच व्हीलर) के नाम पर सन् 1877 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर बुक स्टोर की शुरूआत की।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 12:02 PM (IST)
AH Wheeler Book Store के सफर की कहानी, प्रयागराज से कैसे हुई शुरुआत और फिर देशभर में लहराया परचम
AH Wheeler Book Store एएच व्हीलर का मुख्यालय वर्तमान में प्रयागराज के सिविल लाइंस में है।

प्रयागराज, जेएनएन। बचपन में ट्रेन से नाना-नानी के घर जाते समय हम में से अधिकांश ने रेलवे स्टेशन पर कॉमिक्स और कहानी की किताबें जरूर खरीदी होंगी ताकि लंबा सफर आसानी से कट जाए। तब स्टेशनों पर एएच व्हीलर नाम की एक ही दुकान हुआ करती थी जहां पर किताबें, मैगजीन, न्यूज पेपर आदि मिला करते थे। रेलवे स्टेशनों पर एएच व्हीलर की पुस्तकों की दुकानें आज भी हैं किंतु पहले की तरह एकाधिकार नहीं है। इस नाम और दुकान के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। आइए जानते हैं। 

एमिली मोर्यू के दिमाग की उपज थी एएच व्हीलर की स्थापना

एएच व्हीलर एंड कंपनी की स्थापना के पीछे एक फ्रांसीसी नागरिक एमिली मोर्यू का दिमाग था। एमिली सन 1857 में एक ब्रिटिश फर्म बर्ड एंड कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में तैनात थे। उनको पुस्तक पढऩे का बहुत शौक था सो पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं का बड़ा संग्रह कर रखा था। इतिहासकार प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि गदर के दिनों में स्थितियां ठीक न होने के चलते मोर्यू इलाहाबाद छोडऩा चाहते थे किंतु पुस्तकों का बड़ा संग्रह उनके पथ में बाधा बन रहा था। 

इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर 1877 में पड़ी थी नींव

अपने पुस्तक संग्रह को लेकर परेशान एमिली मोर्यू एक दिन इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे, तभी उन्होंने देखा कि समय बिताने के लिए तमाम यात्री पत्र-पत्रिकाएं पढ़ रहे थे। तभी उनके मन में विचार आया कि यहां पर एक बुक स्टोर खोला जा सकता है। उन्होंने सोचा कि अंग्रेजी नाम की ब्रांड वैल्यू अधिक रहेगी तो लंदन में प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं में से एक अपने करीबी मित्र आर्थर हेनरी व्हीलर (एएच व्हीलर) के नाम पर सन् 1877 में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर बुक स्टोर की शुरूआत की। 

रेलवे के विस्तार के साथ देश भर में पहुंचा व्हीलर

इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से शुरूआत होने के बाद व्हीलर बुक स्टोर धीरे धीरे पूरे देश में फैलने लगा। देश में रेलवे के विस्तार के साथ एएच व्हीलर बुकस्टोर  भी सभी रेलवे स्टेशनों तक फैलने लगे। देखते ही देखते एएच व्हीलर के स्टोर सभी रेलवे स्टेशनों पर एक आम दृश्य हो गया, व्हीलर बुक स्टोर यात्रियों के साथ-साथ पढऩे लिखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। शुरू में यहां अंग्रेजी बोलने व समझने वालों की जरूरतें ही पूरी होती थीं। अधिकांश कर्मचारी भी अंग्रेज या एंग्लो इंडियन थे। 

टीके बनर्जी ने बदलकर रख दी कंपनी की तस्वीर

एमिली की देखरेख में एएच व्हीलर ऐसे ही चलती रही लेकिन 1899 में कामकाज में तब बड़ा बदलाव आया जब टीके बनर्जी कंपनी से जुड़े। बनर्जी कोलकाता में व्हीलर बुक स्टोर से जुड़े थे। स्टोर के बैंक खातों को संभालने व ऑडिट में उनके बेहतर काम को देखते हुए उन्हें प्रधान कार्यालय इलाहाबाद भेज दिया गया। उन्होंने भारतीय रेलवे से जुड़ी कंपनियों के लिए विज्ञापन देना शुरू किया। लेकिन सबसे बड़ा कदम क्षेत्रीय भाषाओं में किताबें बेचना था। 

1937 में टीके बनर्जी के स्वामित्व में आया व्हीलर

 प्रो. तिवारी कहते हैं कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन 1857 के दौरान व्हीलर ने आंदोलन से संबंधित विभिन्न समाचारों को प्रकाशित करके एक तरह से उसे खेला भी था जिसमें टीके बनर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इससे कंपनी को काफी लाभ के साथ विस्तार भी हुआ। उनके कामकाज से एमिली काफी खुश था। जब वह सन् 1937 में इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ तो उसने एएच व्हीलर का स्वामित्व  टीके बनर्जी को हस्तांतरित कर दिया। 

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मिली थी काफी लोकप्रियता

स्वतंत्रता आंदोलन ने एएच व्हीलर बुक स्टोर की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया था। राष्ट्रवादी विचार धारा के प्रति समॢपत पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों को व्हीलर ने बेचना शुरू किया तो लोगों ने उसे हाथों हाथ लिया था। भगत सिंह के मुकदमे और दांडी मार्च का पता लोगों को अखबारों के जरिए चला था। अखबार लेने के लिए  लोग व्हीलर बुक स्टोर पर पहुंचते थे। इसके अलावा व्हीलर ने गांधी, नेहरू के साथ ही श्री अरबिंदो, रवींद्रनाथ टैगोर, डा. राधाकृष्णन व तुलसीदास जैसे कवियों की रचनाओं और शरत चंद्र, प्रेमचंद, मुल्कराज आनंद द्वारा लिखी गई पुस्तकें भी बेचीं जिससे वह लोगों की पहली पसंद बन गया था।   

राष्ट्रवादी आंदोलन के नेताओं के लिए साथी जैसा था व्हीलर

प्रो. तिवारी कहते हैं कि उस समय राष्ट्रवादी आंदोलन के कई नेताओं और राजनीतिज्ञों के लिए एएच व्हीलर साथी जैसा बन गया था। व्हीलर के यहां से ही वे अपनी पसंद की पत्र-पत्रिकाएं व अखबार पढऩे के लिए मंगाते थे। एएच व्हीलर का जलवा देश की आजादी के बाद भी कायम रहा और वह रेलवे के एक अभिन्न अंग जैसा था। हर स्टेशन पर एएच व्हीलर के बुक स्टोर होते थे। आज भी व्हीलर के बुक स्टोर स्टेशनों पर हैं लेकिन वह बात अब नहीं है। एएच व्हीलर का मुख्यालय वर्तमान में प्रयागराज के सिविल लाइंस में है और प्रबंधन बनर्जी परिवार ही करता है।

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