UPRTOU में होगी गुमसुम बच्चों के बारे में पढ़ाई, आटिज्म पर छह महीने का कराया जाएगा कोर्स

अब गुमसुम बच्चों के बारे में छह महीने का आटिज्म (स्वालीनता) जागरुकता पाठ्यक्रम संचालित करेगा। इसके अलावा मोबाइल एप इस्तेमाल करने के लिए प्रमोटिंग डिजिटल प्लेटफार्म नाम से भी नया पाठ्यक्रम चलाएगा। कार्य परिषद की बैठक में सर्वसम्माति से दोनों पाठ्यक्रमों पर अंतिम मुहर भी लग गई।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 03:27 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:27 PM (IST)
UPRTOU में होगी गुमसुम बच्चों के बारे में पढ़ाई, आटिज्म पर छह महीने का कराया जाएगा कोर्स
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त के कार्य परिषद में दो नए पाठ्यक्रमों को मिली मंजूरी

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय अब गुमसुम बच्चों के बारे में छह महीने का आटिज्म (स्वालीनता) जागरुकता पाठ्यक्रम संचालित करेगा। इसके अलावा मोबाइल एप इस्तेमाल करने के लिए प्रमोटिंग डिजिटल प्लेटफार्म नाम से भी नया पाठ्यक्रम चलाएगा। कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह की अध्यक्षता में  कार्य परिषद की बैठक में सर्वसम्माति से दोनों पाठ्यक्रमों पर अंतिम मुहर भी लग गई। अब रिहैबिलेशन काउंसिल आफ इंडिया (आरसीआई) की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश के सभी अध्ययन केंद्रों में दोनों पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

विद्या शाखा के पूर्व निदेशक की स्मृति में दानदाता स्वर्ण पदक

कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने बताया कि आटिज्म एक मानसिक रोग है। बच्चे इस रोग के अधिक शिकार होते हैं। एक बार आटिज्म की चपेट में आने के बाद बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है। इससे वह परिवार और समाज के लोगों से दूर रहने लगता है। ऐसे में अब विश्वविद्यालय ने इस पर जागरुकता पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया। इसका प्रस्ताव तैयार कर गुरुवार को कार्य परिषद में रखा गया तो सदस्यों ने भी सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इसके अलावा आधुनिकीकरण के युग में लगातार एप का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में उसके इस्तेमाल के तरीके आदि को लेकर भी नए पाठ््यक्रम को मंजूरी मिली। यह दोनों जागरुकता पाठ्यक्रम छह महीने के होंगे।

क्या है आटिज्म और उसके लक्षण

मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय (काल्विन) के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डाक्टर राकेश पासवान ने बताया कि आटिज्म एसपरजर्स डिजीज के नाम से भी जानी जाती है। क्योंकि इसकी खोज एसपरजर्स नामक वैज्ञानिक ने की थी। उन्होंने बताया कि 12 से 13 माह के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण नजर आने लगते हैं। इस विकार में व्यक्ति या बच्चा आंख मिलाने से कतराता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बात को न सुनने का बहाना करता है। आवाज देने पर भी कोई जवाब नहीं देता है। अव्यवहारिक रूप से जवाब देता है। माता-पिता की बात पर सहमति नहीं जताता है। ऐसे बच्चे शब्दों के माध्यम से अपनी बात नहीं कह पाते। मुक्त विवि की तरफ से इस पर जागरुकता पाठ्यक्रम संचालित किए जाने के निर्णय को उन्होंने सराहनीय बताया। कहा कि इससे लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी भी मिल सकेगी।

नए दानदाता स्वर्ण पदक को मंजूरी

कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के शिक्षा विद्या शाखा के पूर्व निदेशक प्रोफेसर सुशील प्रकाश गुप्ता की स्मृति में दानदाता स्वर्ण पदक देने पर भी निर्णय लिया गया। यह पदक प्रतिवर्ष दीक्षा समारोह में शिक्षा विद्या शाखा में सर्वश्रेष्ठ अंक प्रदान करने वाले शिक्षार्थी को दिया जाएगा। कार्यपरिषद ने पीएचडी कार्यक्रम के लिए विभिन्न विद्या शाखाओं के पीएचडी कोर्स वर्क से संबंधित अनुशंसा में क्रेडिट संरचना में एकरूपता के दृष्टिगत पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया। साथ ही विश्वविद्यालय के यमुना परिसर के सौंदर्यीकरण का भी निर्णय लिया। इसके लिए रिक्त भूखंड को पार्क के रूप में विकसित किए जाने संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार किया गया।

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