नागरिकों की हिफाजत में राज्य हो रहे विफल, आनलाइन संगोष्ठी में बोले BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय

प्रमुख वक्ता बीएचयू (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय कुमार सिंह ने राष्टीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए न्यायिक हिरासत में कैदियों की मौत पर चिंता जाहिर की। यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों के जान- माल की सुरक्षा करे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 02:37 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 02:37 PM (IST)
नागरिकों की हिफाजत में राज्य हो रहे विफल, आनलाइन संगोष्ठी में बोले BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय
वक्ताओं ने नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा व कैदियों की मौत पर अपने विचार रखे

प्रयागराज, जेएनएन। पड़ोसी जनपद कौशांबी में करारी स्थित डा.रिज़वी कालेज ऑफ ला द्वारा 'भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली, सिद्धांत और वर्तमान परिदृश्य में वास्तविकता' विषय पर आनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने नागरिकों के जानमाल की सुरक्षा व हिरासत में मौत पर विचार रखे।

न्यायिक हिरासत में कैदियों की मौत पर चिंता

संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता बीएचयू (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अजय कुमार सिंह ने राष्टीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए न्यायिक हिरासत में कैदियों की मौत पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों के जान- माल की सुरक्षा करे। मगर राज्य इसमें विफल साबित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता डा. विद्योत्तमा झा ने न्यायिक व्यवस्था पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि भारत में लंबित मुकदमों का मुख्य कारण पर्याप्त न्यायधीशों का न होना है, जिसकी वजह से लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता। हाईकोर्ट के अधिवक्ता कर्रार हुसैन ने न्यायालय में लंबित ज़मानत अर्ज़ी पर चिंतन करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टि में अगर अपराधी प्रतीत नहीं होता तो उसे तत्काल ज़मानत मिलना उचित है। किसी बेगुनाह को अनावश्यक जेल में रखना संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का हनन है।

वर्तमान व्यवस्था में सुधार की दरकार

संगम यूनिवर्सिटी भीलवाड़ा राजस्थान के सहायक आचार्य डा. शिवाकांत प्रजापति ने भारतीय न्यायिक व्यवस्था में मनुस्मृति, कात्यायन स्मृति एवं महाभारत काल की दंड व्यवस्था का जिक्र करते हुए एक विस्तृत चिंतन किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में सुधार की दरकार है। वर्तमान तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुई न्यायिक प्रक्रिया में बदलाव हो तथा समाज मे होने वाली माब लिंचिंग पर कड़ा नियम बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का संयोजन लॉ कॉलेज के सहायक आचार्य सत्य प्रकाश राय, सैयद कलीम अख्तर व सुनील कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार व धन्यवाद ज्ञापित सत्य प्रकाश राय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागी के तौर पर डा. रिज़वी कॉलेज ऑफ लॉ के छात्र सहित अन्य विधि महाविद्यालय के छात्र, अधिवक्ता, शोध छात्र, एवं देश के अलग-अलग स्थानों से विधि विभाग के प्रोफेसर ने भागीदारी की।

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