यहां​​​​​ 'एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य का इंतजार, प्रयागराज में कोच के अभाव में नहीं निखर पा रही है खेल प्रतिभाएं

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By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 10:00 AM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 10:00 AM (IST)
यहां​​​​​ 'एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य का इंतजार, प्रयागराज में कोच के अभाव में नहीं निखर पा रही है खेल प्रतिभाएं
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में रोज बच्चे जुटते हैं लेकिन उन्हें प्रशिक्षण ही नहीं मिल पा रहा है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। ओलिंपिक के अलावा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद में बेहतरीन प्रदर्शन कर पदक जीतना प्रयागराज के लिए कठिन हो चला है। हालांकि, इसी संगमनगरी की धरती से कई खिलाड़ी ऐसे भी निकले, जिन्होंने अपने हुनर के दम पर देश का नाम रौशन किया। वर्तमान में प्रशिक्षकों की कमी के चलते खिलाडिय़ों को मायूस भी होना पड़ रहा है।

कोरोना काल में प्रैक्टिस से वंचित रहे खिलाड़ी

टोक्यो ओलिंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन पर संगमनगरी के खेल प्रेमियों ने खुशी मनाई, लेकिन पेरिस ओलिंपिक को लेकर और बेहतर तैयारी की जाएगी या संसाधनों के अभाव में खेल जगत इतने में ही संतोष करेगा, यह भविष्य में तय होगा। कोरोनाकाल में अमिताभ बच्चन स्पोट्र्स काम्प्लेक्स और मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में बंद रहे तो खिलाड़ी भी प्रैक्टिस करने से वंचित रहे। पांच जुलाई से शर्तों के आधार पर खेल गतिविधियों के लिए अनुमति मिली। खिलाडिय़ों का भी आना शुरू हो गया, लेकिन कोचों की कमी ने खेल गतिविधियों को गति देने के लिए चिंता बढ़ गई। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में छह कोच हैं जो एथलेटिक्स, तैराकी, जूडो, कयाकिंग कैनोइंग, साफ्ट टेनिस का प्रशिक्षण देते हैं। वहीं अमिताभ बच्चन स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में वॉलीबाल, लान टेनिस व बास्केटबाल के कोच हैं।

कोच नहीं तो कैसे निखरे खेल प्रतिभा

क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, टेबिल टेनिस, बैडमिंटन, कबड्डी, भारोत्तोलन, ताइक्वांडो, हैंडबाल, मुक्केबाजी, खो-खो, कुश्ती, स्क्वैश और जिमनास्टिक के लिए कोई कोच नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में प्रयागराज की प्रतिभा कैसे निखारी जा सकती है।

आउटसोर्सिंग पर ज्वाइन करने को तैयार नहीं

खिलाडिय़ों का दावा है कि दो दर्जन कोच पहले प्रशिक्षण दे रहे थे। अब ज्यादातर विधाओं में कोच नहीं हैं। अधिकारियों ने कहा कि मदन मोहन मालवीय स्टेडियम और अमिताभ बच्चन स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में तैनात कोच अंशकालिक मानदेय पर थे। मार्च में उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई। अब आउटसोर्सिंग पर रखा जा रहा है। इसलिए कई कोच ने ज्वाइन नहीं किया।

संसाधनों का टोटा

-05 जुलाई से जिला प्रशासन की अनुमति पर शुरू कराई गई खेल गतिविधियां

-08 कोच उपलब्ध हैं प्रशिक्षण देने के लिए

-02 दर्जन कोच थे कोरोना काल के पहले

-2020 मार्च में अंशकालिक मानदेय के कोचों का हिसाब कर समाप्त की गईं सेवाएं

खिलाड़ियों का है कहना

कोच नहीं होने और संसाधनों के अभाव में ट्रेनिंग बाधित हो रही है। निश्चित व उचित शेड्यूल की जानकारी न होने और प्रोत्साहन नहीं मिलने से मनोबल डगमगाता है। कोच की सख्त जरूरत है।

- अभय सिंह

मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में सालभर पहले वेटलिफ्टिंग के कोच का तबादला हुआ। इसके बाद कोई कोच नहीं आया। कई बार टीम ने डिप्टी सीएम को पत्र भी लिखा गया, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई।

- निधि मिश्रा, वेटलिफ्टर

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