अब थिंक वेब स्विच से बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड

थिंक वेब स्विच से दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी। इलाहाबाद मंडल में इसका काम तेजी से चल रहा है।

By Edited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 07:20 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 10:28 AM (IST)
अब थिंक वेब स्विच से बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड
अब थिंक वेब स्विच से बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड
रमेश यादव, प्रयागराज : नई दिल्ली से हावड़ा रूट को समय-समय पर हाईटेक करने की कवायद होती है। इसी क्रम में नई दिल्ली से हावड़ा रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए परंपरागत स्विच के स्थान पर थिंक वेब स्विच लगाए जा रहे हैं।

गाजियाबाद से कानपुर तक तेज गति से काम हो रहा
इलाहाबाद मंडल में गाजियाबाद से लेकर कानपुर तक थिंक वेब स्विच का काम तेज गति से चल रहा है। थिंक वेब स्विच लगने पर संरक्षा बढ़ने के साथ ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ जाएगी। इसके बाद इस रूट पर 160 किलोमीटर प्रतिघटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। अभी 130 किलोमीटर प्रतिघटा की स्पीड है। ट्रेनों का ट्रैक बदलने बदलने के लिए टर्न आउट लगे होते हैं। अभी उसमें परंपरागत स्विच का प्रयोग होता रहा है। अब उसके स्थान पर थिंक वेब स्विच लगाए जा रहे हैं।

थिंक स्विच हाईस्पीड के लिए आदर्श माना जाता है
थिंक स्विच परांपरागत स्विच की तुलना में मोटे, डबल लाकिंग और स्प्रिंग सेटिंग में होता है। इसमें स्पंदन कम होता है, जो हाईस्पीड के लिए आदर्श माना जाता है। ट्रेन जब थिंक वेब स्विच के ऊपर से गुजरती है तो यात्रियों को इसका पता नहीं चलता है। झटका भी नहीं लगता है। 100 फेसिंग प्वाइंट पर लग गए स्विच इलाहाबाद मंडल में गाजियाबाद से कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बीच 225 फेसिंग प्वाइंट हैं।

कानपुर से लेकर मुगलसराय तक नए स्विच लगाए जाएंगे
अभी तक 100 फेसिंग प्वाइंट पर थिंक वेब स्विच लग चुके हैं। बाकी का काम तेजी से चल रहा है। उसके बाद कानपुर से लेकर मुगलसराय तक नए स्विच लगाए जाएंगे। साढ़े चार सौ से अधिक फेसिंग प्वाइंट पर नए स्विच लगाए जाने हैं। डीएफसी में लग रहे केवल थिंक वेब स्विच माल गाड़ियों के बेहतर संचालन के लिए रेलवे अलग से कॉरीडोर बनवा रहा है। लुधियाना से लेकर दानकुनी तक बन रहे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) में केवल थिंक वेब स्विच लगाए जा रहे हैं।

बोले एडीआरएम
इलाहाबाद मंडल के एडीआरएम अनुराग कुमार गुप्ता का कहना है कि थिंक वेब स्विच लगने पर टर्न आउट पर भी ट्रेनों की स्पीड कम नहीं होगी। इससे ट्रेनों की समयबद्धता में भी सुधार होगा। संरक्षा भी बढ़ जाएगी।
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