कार्ल मार्क्स की जन्मतिथि पर प्रयागराज में बोले वक्ता, समाजवाद के रास्ते दुनिया बन सकती है बेहतर

नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू आइआरईए ने प्रयागराज जंक्शन के वर्कशाप में समाजवाद के महान शिक्षक कार्ल हेनरिख मार्क्स की जन्मतिथि मनाई। वक्ताओं ने कहा कि कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता थे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 11:41 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 11:41 AM (IST)
कार्ल मार्क्स की जन्मतिथि पर प्रयागराज में बोले वक्ता, समाजवाद के रास्ते दुनिया बन सकती है बेहतर
वक्ताओं ने कहा कि कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता थे।

प्रयागराज, जेएनएन। नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन संबद्ध ऐक्टू, आइआरईए ने प्रयागराज जंक्शन के वर्कशाप में समाजवाद के महान शिक्षक कार्ल हेनरिख मार्क्स की जन्मतिथि मनाई। वक्ताओं ने कहा कि कार्ल मार्क्स जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता थे। आज दुनियाभर में कम्युनिस्ट ही नहीं बल्कि मानवता के लिए एक बेहतर भविष्य की कामना करने वाले सभी लोग  मार्क्स को महान क्रांतिकारी विचारक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बराबरी व शोषण मुक्त समाज निर्माण का दृष्टि देने वाला दार्शनिक मानते हैं।

 वर्ग संघर्ष का सिद्धांत  मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद का मेरूदंड

यूनियन के महामंत्री मनोज पांडेय ने कहा कि माक्र्स के मुताबिक, समाजवाद के रास्ते ही दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है। सहायक महामंत्री सैय्यद इरफात अली ने कहा कि 'वर्ग संघर्ष का सिद्धांत  मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद का मेरूदंड है। इसका विस्तार करते हुए उन्होंने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या और बेशी मूल्य (सरप्लस वैल्यू) की व्याख्या कर पूंजीपति वर्ग द्वारा मज़दूर वर्ग के शोषण करने व समाज की सम्पत्ति के कुछ लोगों के हाथों में सिमट जाने के नियमों पर से पर्दा उठा कर महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांतों की स्थापनाएं कीं। मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक निष्कर्ष इन्हीं स्थापनाओं पर आधारित हैं। कहा कि मार्क्स  का दर्शन केवल मज़दूर वर्ग के शोषण के खिलाफ तक सीमित नहीं है। बल्कि यह हर तरह के शोषण, उत्पीडऩ, भेदभाव के ख़ात्मे का दर्शन है। जब तक समाज से मानव द्वारा मानव का शोषण, उत्पीडऩ, सामाजिक आर्थिक भेदभाव, अवैज्ञानिकता, ढोंग, पाखंड पूरी तरह ख़त्म नहीं हो जाता,  मार्क्स व उनके विचार प्रासंगिक रहेंगे। इस दौरान कोविड प्रोटोकाल का ख्याल रखा गया। ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी, केंद्रीय कोषाध्यक्ष संजय तिवारी, सैय्यद आफताब अहमद आदि उपस्थित थे।

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