अशिक्षा के खिलाफ अभियान चला रहीं हैं समाजसेविका शालिनी सिन्हा, सेवा के जरिए दे रहीं इंसानियत का संदेश
मनोविज्ञान से पीएचडी करने वाली शालिनी के मन में बचपन से सेवा का भाव रहा है। घर से जेब खर्च के लिए जो पैसे मिलते थे उससे फल व बिस्किट खरीदकर गरीबों को वितरित करती थीं। उम्र बढऩे के साथ सेवा का भाव बढ़ता गया।
प्रयागराज, जेएनएन। मजबूत इच्छाशक्ति और विपरीत परिस्थितियों से हार न मानने का जज्बा इंसान को खास बनाता है। चुनौतियों को स्वीकार करके आगे बढ़ने वाले व्यक्ति की समाज में अलग पहचान बनती है। कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया है समाजसेविका शालिनी सिन्हा ने। सेवा, समर्पण और सरलता के मूलमंत्र का अनुसरण करके इंसानियत का संदेश जन-जन तक पहुंचा रही हैं। कोरोना संक्रमण काल में इनका जनसेवा का जज्बा और बढ़ गया। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए खुद को समर्पित कर दिया। गरीबों को राशन दिया, मास्क, सैनिटाइजर व साबुन का वितरण करवा रही हैं।
बचपन से ही था सेवा भाव
मनोविज्ञान से पीएचडी करने वाली शालिनी के मन में बचपन से सेवा का भाव रहा है। घर से जेब खर्च के लिए जो पैसे मिलते थे उससे फल व बिस्किट खरीदकर गरीबों को वितरित करती थीं। उम्र बढऩे के साथ सेवा का भाव बढ़ता गया। स्वामी विवेकानंद, मदर टेरेसा, डा. एपीजे अब्दुल कलाम को आदर्श मनाने वाली शालिनी सालों से बिना किसी प्रचार-प्रसार के सेवा कार्य कर रही हैं। हर त्योहार व खास मौकों पर अनाथालय व वृद्धाश्रम में भोजन वितरित करती हैं। गरीब बच्चों को शिक्षा से जोडऩे की मुहिम भी चला रही हैं। गरीब व मजदूरों के बच्चे शिक्षित हों उसके लिए उनके बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाती हैं। बच्चों के लिए पठन-पाठन की सामग्री व कपड़ों का प्रबंधन स्वयं करती हैं।
कोरोना काल में बढ़ा सेवा का जज्बा
कोरोना संक्रमण काल में शालिनी के अंदर सेवा का भाव और बढ़ गया। बताती हैं कि अप्रैल-मई 2020 में चिलचिलाती धूप में जब श्रमिकों को बच्चों के साथ पैदल चलते देखा तो आत्मीय पीड़ा हुई। फिर उनके खाने-पीने, मास्क व सैनिटाइजर का प्रबंध कराने में जुट गई। वह चुनौतीपूर्ण समय था उसमें खुद की सुरक्षा करके दूसरों का दर्द दूर करना था।
गरीबों को मिलना चाहिए अवसर
शालिनी कहती हैं कि समाज तभी तरक्की करेगा जब सब शिक्षित होंगे। शिक्षा ही लोगों की सोच बदलने के साथ काम करने की क्षमता विकसित करती है। गरीब और बेसहारा बच्चे भी प्रतिभाशाली होते हैं, लेकिन उन्हें आगे बढऩे का उचित साधन व अवसर नहीं मिलता। ऐसे बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना मेरा ध्येय है।
लड़कियों को बनाना है आत्मनिर्भर
शालिनी लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं। कहती हैं कि लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास कर रही हूं। उन्हें शिक्षा व स्वरोजगार से जोडऩे की मुहिम चला रही हूं। इसके लिए इंटरनेट मीडिया के जरिए ऑनलाइन निश्शुल्क क्लास चलाकर उनकी समस्या का समाधान करने के साथ बेहतर करने को प्रेरित करती हूं।