तीन साल ही मेयर रहे थे Shyama Charan Gupta, चौथे वर्ष सभासदों के अविश्वास प्रस्ताव के चलते देना पड़ा था इस्तीफा
जब श्यामा चरण मेयर बने थे। उस समय सभासद मेयर को चुनते थे। तब नगर निगम में 40 वार्ड थे और प्रत्येक वार्ड में दो सभासद होते थे। इस लिहाज से सभासदों की संख्या 80 थी। चूंकि मेयर सभासदों से ही चुने जाते थे।
प्रयागराज,जेएनएन। पूर्व सांसद श्यामा चरण गुप्त 1989 में मेयर चुने गए थे। उस समय वह जनता दल में थे और कांग्रेस उम्मीदवार अशोक वाजपेयी को हराकर मेयर बने थे। लेकिन, वह मेयर का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। तीन साल ही इस कुर्सी पर आसीन रह सके। चौथे साल सभासदों के अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद रवि भूषण वधावन मेयर बने थे।
जब श्यामा चरण मेयर बने थे। उस समय सभासद मेयर को चुनते थे। तब नगर निगम में 40 वार्ड थे और प्रत्येक वार्ड में दो सभासद होते थे। इस लिहाज से सभासदों की संख्या 80 थी। चूंकि, मेयर सभासदों से ही चुने जाते थे इसलिए सरकार ने हर साल अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रविधान किया था। शायद इसका मकसद यह था कि मेयर सभासदों की अपेक्षाओं पर खरे उतर रहे हैं अथवा नहीं। तीन साल तक वह कुर्सी पर बने रहे लेकिन, चौथे साल कुर्सी छिन गई।
दो बड़ी हस्तियों की प्रतिमाओं का अनावरण
उनके मेयर काल में बालसन चौराहे पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय और सिविल लाइंस में फायर ब्रिगेड चौराहे पर हेमवती नंदन बहुगुणा जैसी दो बड़ी हस्तियों की प्रतिमाएं लगवाई गईं। उनके साथ काम करने वाले निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी राजेंद्र पालीवाल बताते हैं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के अनावरण के लिए भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी आए थे। हेमवती नंदन बहुगुणा की प्रतिमा के अनावरण में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकट रमन, विश्वनाथ प्रताप सिंह शामिल हुए थे। वह बताते हैं कि उस समय मेयर का चुनाव सभासदों से होता था इसलिए पार्टी से चुनाव लडऩे का मतलब नहीं होता था। सभासदों की पसंद पर मेयर चुने जाते थे।
विकास के लिए मिलते थे 1.8 करोड़
रोड ग्रांट मद में शहर के विकास के लिए उस समय प्रत्येक वर्ष 1.8 करोड़ रुपये मिलते थे। इसके अलावा विश्व बैंक की स्कीम मद से भी काम होते थे।