Shine City Fraud: आखिर क्यों की ऐसी लापरवाही, विभागीय जांच में सामने आएगी असलियत
कंपनी के सीएमडी राशिद नसीम उसके भाई आसिफ नसीम समेत कई अन्य के खिलाफ प्रयागराज और आसपास रहने वाले 30 से ज्यादा लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी। अऱबों की ठगी करने वाले जालसाजों के खिलाफ मुकदमा तो लिखा लेकिन अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। करोड़ों रुपये की ठगी करने वाली रियल एस्टेट कंपनी शाइन सिटी के सीएमडी समेत अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी में किस हद तक और क्यों लापरवाही बरती गई थी, इसकी सच्चाई विभागीय जांच में सामने आ सकेगी। सिविल लाइंस थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद कई माह तक मामले में कार्रवाई करने में गुरेज किया था। इसके बाद दोनों मुकदमों को क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया था। मगर क्राइम ब्रांच की टीम ने भी अभियुक्तों को पकड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और केवल पर्चा काटती रही। इसको लेकर अब यह भी कहा जाने लगा है कि पुलिस में आरोपितों के कई मददगार हैं, जिन्होंने कार्रवाई में ढिलाई बरतकर उन्हें राहत पहुंचाई थी। सिविल लाइंस थाने के पूर्व इंस्पेक्टर को निलंबित करने के साथ ही विभागीय जांच भी बैठाई गई है, जिसकी जांच में सच्चाई सामने आने की बात कही जा रही है।
हाई कोर्ट ने फटकारा तब जागे पुलिस अफसर
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) को केस ट्रांसफर होने से पहले पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि क्राइम ब्रांच मुकदमे की विवेचना कर रही है। कंपनी के सीएमडी राशिद नसीम, उसके भाई आसिफ नसीम समेत कई अन्य के खिलाफ प्रयागराज और आसपास रहने वाले 30 से ज्यादा लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी। तत्कालीन विवेचक ने सभी की शिकायतों को सिविल लाइंस में दर्ज मुकदमे में शामिल कर लिया था, मगर अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। करोड़ों रुपये की ठगी के मसले में पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जब हाईकोर्ट ने फटकार लगाकर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए तो पुलिस अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक जागे। आनन-फानन गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू हुई और लापरवाही बरतने पर निलंबन की कार्रवाई की जाने लगी। इसी मामले में सिविल लाइंस के तत्कालीन इंस्पेक्टर रविंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है, जबकि विवेचक दारोगा राजेश सिंह के खिलाफ निलंबन की रिपोर्ट जीआरपी को भेजी गई है। यह भी कहा जा रहा है कि क्राइम ब्रांच के कुछ पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिर सकती है।