यहां ज्ञान के साथ संस्कारों की चलती है पाठशाला

प्राथमिक विद्यालय जसरा के प्रधानाध्यापक डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह के घर वैचारिक पाठशाला चलती है। हर रविवार को उनके यहां बच्चों की पढ़ाई होती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 07:19 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 07:19 PM (IST)
यहां ज्ञान के साथ संस्कारों की चलती है पाठशाला
यहां ज्ञान के साथ संस्कारों की चलती है पाठशाला

अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज : किताबी ज्ञान के साथ संस्कारों, अधिकारों व कर्तव्यों की भी समझ चाहिए तो आइए प्राथमिक विद्यालय बघोलवा आदिवासी बस्ती जसरा के प्रधानाध्यापक डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह के घर। नैनी के खरकौनी स्थित उनके आवास पर प्रत्येक रविवार सुबह आठ बजे से शुरू हो जाती है वैचारिक पाठशाला। बड़ी दरी पर कॉपी किताब के साथ बैठे बच्चे गणित, विज्ञान और अंग्रेजी तो पढ़ते दिखेंगे ही। वे यहां उठने-बैठने, चलने-फिरने, बड़े-बुजुर्गो के साथ व्यवहार के तौर-तरीके सीखने के साथ ही अपने अधिकार और कर्तव्य की भी समझ विकसित कर रहे हैं। उन्हें सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक की व्यवस्थित दिनचर्या का भी अभ्यास कराया जा रहा है। उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में भी बताया जाता है।

बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए योग सिखाने समेत खेल-खेल में सवाल-जवाब भी किए जाते हैं। इसका प्रभाव यह है कि अभिभावक भी बच्चों की प्रत्येक गतिविधि को लेकर सजग हैं। वे उनकी हर अच्छी बुरी आदत की जानकारी डॉ. सिंह को देते हैं। आग्रह करते हैं कि बच्चे की कौन सी आदत नहीं सुधर रही है, उसके लिए प्रयास किया जाए। इस वैचारिक पाठशाला में विद्यार्थियों को महापुरुषों, तीज-त्योहार व सांस्कृतिक धरोहरों की जानकारी दी जा रही है। देश व समाज के प्रति उनके कर्तव्य व अधिकारों की भी समझ विकसित करने का प्रयास हो रहा है। उन्हें निडर होकर अपनी बात कहने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। 2007 से चल रही है यह पाठशाला

पाठशाला की शुरुआत मार्च 2007 में हुई। शुरू में पांच से दस बच्चे थे। बाद मे संख्या 30 हो गई। आसपास के लोगों का भी डॉ.सिंह में विश्वास बढ़ता गया और फिर संख्या भी बढ़ गई। हालांकि कोरोना के चलते अब ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। करीब 15 बच्चे ऑनलाइन संबद्ध हैं। स्कूल के बच्चों के लिए बनाया ग्रुप

इन दिनों विद्यालय बंद हैं। इसलिए डॉ. सुरेंद्र ने वाट्सएप ग्रुप बनाया। नाम है घर ही विद्यालय बघेलवा। इससे अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों के पठन-पाठन के लिए उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। बच्चों को नियमित रूप से गृह कार्य देते हैं। वैचारिक कक्षाओं के अतिरिक्त बघेलवा विद्यालय में 61 बच्चे हैं, इसमें से चार को छोड़कर सभी अनुसूचित जाति के हैं। इनके पास संसाधन नहीं हैं। 20 जून को उनके लिए पुस्तक, कलम, कॉपी आदि लेकर गया था। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों को पाठ्य सामग्री बांटी और गृह कार्य दिया। सप्ताह में एक दिन वहां जाकर बच्चों को गृह कार्य देता हूं।

-डॉ.सुरेंद्र प्रताप सिंह, प्रधानाध्यापक वैचारिक पाठशाला में बढ़े सहयोगी

बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ संस्कृति व संस्कार की सीख देने के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाया है। ऑनलाइन कक्षाओं में प्राथमिक विद्यालय बड़ी असरवाई के शिक्षक त्रिभुवननाथ यादव, पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरगढ़ के अध्यापक भूपेंद्र प्रताप सिंह, प्राथमिक विद्यालय पचवर के अध्यापक उज्ज्वल जायसवाल व बेसिक शिक्षक गणेश शंकर तिवारी सहयोग दे रहे हैं।

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