Death Anniversary of Harivansh Rai Bachchan: हरिवंश राय की स्मृतियों को ताजा करेगी ‘सरस्वती’

हरिवंश राय बच्चन 27 नवंबर 1907 को प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी में जन्मे थे लेकिन उनकी कर्मभूमि प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) रही थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का शिक्षक होने के साथ उन्हें यहीं से साहित्यिक पहचान मिली। 1929 में तेरा हार 1935 में मधुशाला सहित करीब 50 रचनाएं लिखीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 01:31 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 01:40 PM (IST)
Death Anniversary of Harivansh Rai Bachchan: हरिवंश राय की स्मृतियों को ताजा करेगी ‘सरस्वती’
1969 में लिखी गई आत्मकथा ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’ आज भी पठनीय है।

शरद द्विवेदी, प्रयागराज। कालजयी रचना ‘मधुशाला’ के जरिए पद्मभूषण हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी साहित्य जगत में ख्याति अर्जित की थी। यह तो आम लोगों को पता है, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि मधुशाला को चर्चित करने में ‘सरस्वती’ पत्रिका की अहम भूमिका थी। पत्रिका के दिसंबर 1933 के अंक में प्रकाशित इसकी कुछ पंक्तियों को खूब सराहना मिली थी।

तत्कालीन प्रधान संपादक पं. देवीदत्त शुक्ल ने 20 छंदों का चयन कर उसे सरस्वती में प्रकाशित कराने के साथ प्रोत्साहनपरक टिप्पणी लिखी थी। मधुशाला 1935 में पुस्तक के रूप में आई। अब एक बार फिर सरस्वती के माध्यम से हरिवंश राय की स्मृतियों को ताजा किया जाएगा।

भावी रचनाकारों को प्रेरित करने और हरिवंश राय के अनछुए पहलुओं से लोगों को परिचित कराने के लिए सरस्वती पत्रिका में लेख प्रकाशित करने की योजना बनाई गई है। पत्रिका के सह-संपादक अनुपम परिहार बताते हैं कि हरिवंश राय बच्चन के पिता प्रताप नारायण श्रीवास्तव ने कटघर में मकान लिया था।

हरिवंश राय ने ‘मधुशाला’ और ‘एकांत संगीत’ का सृजन इसी घर में किया था। साहित्यकार यशपाल की पत्नी प्रकाशवती पाल क्रांतिकारी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण लगभग दो माह कटघर वाले घर में ही छिपकर रहीं थीं। वह पंजाब की रहने वाली थीं और उन्होंने अरहर की दाल पहली बार बच्चन के इसी घर में खाई थी। बच्चन उन्हें ‘रानी’ कहते थे। प्रकाशवती पाल ने अपने उपन्यास ‘लाहौर से लखनऊ तक’ में हरिवंश राय बच्चन के बारे में बहुत कुछ लिखा है। आगामी अंकों में इस उपन्यास के अंशों को पाठकों तक पहुंचाया जाएगा।

साहित्यिक स्मारक की मांग : हरिवंश राय बच्चन पर शोध करने वाले विवेक कक्कड़ कहते हैं कि लोगों को ज्यादा जानकारियां नहीं हैं। किताबों और रचनाओं के जरिए हरिवंश राय बच्चन के व्यक्तित्व को नहीं समझा जा सकता। इसके लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्मारक भवन बनाने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हो तो कोई साहित्यिक संग्रहालय बनवाया जाना चाहिए, जहां बच्चन सहित प्रयागराज के हर साहित्यकारों से जुड़ी सामग्री हो।

संगमनगरी रही कर्मभूमि : हरिवंश राय बच्चन 27 नवंबर 1907 को प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी में जन्मे थे, लेकिन उनकी कर्मभूमि प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) रही थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का शिक्षक होने के साथ उन्हें यहीं से साहित्यिक पहचान मिली। 1929 में तेरा हार, 1935 में मधुशाला, 1936 में मधुबाला, 1937 में मधुकलश, आत्म परिचय सहित करीब 50 रचनाएं लिखीं। 1969 में लिखी गई आत्मकथा ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’ आज भी पठनीय है।

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