सब्जियों के फुटकर रेट भी कमी, थोक दाम में पहले ही हुई थी गिरावट, जानें प्रयागराज के सब्जी बाजार का हाल
तेल व रिफाइंड आदि का दाम तो कम नहीं हुआ है लेकिन सब्जियों के थोक रेट में भारी गिरावट का असर अब फुटकर दाम पर भी पड़ने लगा है। फुटकर में टमाटर 16 रुपये प्रति किलो आलू 70 से 75 रुपये में पांच किलो बिक रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज के लोगों के लिए कुछ राहत भरी खबर है। रसोई पर होने वाले खर्च में अब उनकी जेब कम ढीली होगी। सब्जी दैनिक उपयोग में आती है। थोक में सब्जियां पहले ही कम हो गई थीं। अब फुटकर रेट में भी गिरावट आ गई है। प्रयागराज में थोक सब्जी मंडी मुंडेरा मंडी है। यहीं से छोटे व्यापारी और दुकानदार सब्जी खरीदकर अपने-अपने इलाकों में बेचते हैं।
सरसों के तेल, रिफाइंड, पामोलीन और डालडा कर रहा परेशान
सरसों के तेल, रिफाइंड, पामोलीन और डालडा की कीमतों में भले वृद्धि हो रही है। वहीं सब्जियों के भी भाव तेज होने से आम नागरिक परेशान थे। तेल व रिफाइंड आदि का दाम तो कम नहीं हुआ है लेकिन सब्जियों के थोक रेट में भारी गिरावट का असर अब फुटकर दाम पर भी पड़ने लगा है। फुटकर में टमाटर 16 रुपये प्रति किलो, आलू 70 से 75 रुपये में पांच किलो बिक रहा है।
जानें, फुटकर में सब्जियों के भाव
इसी प्रकार फुटकर में मटर 16 रुपये प्रति किलो, गाजर 20 रुपये प्रति किलो, प्याज 30 से 35 रुपये प्रति किलो, बैगन 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसी क्रम में सोया मेथी, पालक, बथुआ की फुटकर कीमतों में भी कमी हुई है। यह हरी सब्जियां 10 से 20 रुपये प्रति किलो मिल रही है। हालांकि फूल और पत्ता गोभी की कीमत 15 से 20 रुपये प्रति पीस है।
जानें प्रयागराज की थोक मंडी में सब्जियों का रेट
सब्जी की थोक मुंडेरा मंडी में मटर 10 से 12 रुपये प्रति किलो, प्याज 20 से 25 रुपये किलो, टमाटर 7-8 रुपये किलो और आलू 8-9 रुपये प्रति किलो बिकी। थोक में फूल और पत्ता गोभी भी 4 से 5 रुपये प्रति पीस, सोया, मेथी, पालक और बथुआ दो से तीन रुपये प्रति किलो सोमवार को बिका।
सब्जियों की मांग कम होने के कारण किसानों को नुकसान
मुंडेरा फल एवं सब्जी व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा का कहना है कि सब्जियों की आपूर्ति बाहर न हो पाने के कारण रेट में काफी गिरावट हुई है। हर जगह सब्जियां पर्याप्त मात्रा में हो जाने के कारण आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हरी सब्जियों के मंडी में खरीदार भी कम हो गए हैं। इसकी वजह से हरी सब्जियां खराब भी हो रही हैं। आवक के हिसाब से मांग कम होने के कारण किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।