प्रयागराज में ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा नहीं हटने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से जवाब तलब

अधिवक्ता पंकज कुमार गुप्त का कहना था कि सक्षम अधिकारियों को राजस्व संहिता के प्रविधानों के तहत अतिक्रमण हटाने के लिए प्रत्यावेदन दिया गया। उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों का कहना है कि पुलिस फोर्स उपलब्ध न होने के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 07:54 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 07:54 AM (IST)
प्रयागराज में ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा नहीं हटने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से जवाब तलब
हाई कोर्ट ने भेजा एसएसपी प्रयागराज और हंडिया के एसडीएम व तहसीलदार को नोटिस

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज जनपद में हंडिया तहसील के हरिहरपुर गांव में ग्रामसभा की जमीन से अवैध कब्जा नहीं हटाने की शिकायत को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। अदालत ने प्रयागराज के एसएसपी तथा हंडिया के एसडीएम और तहसीलदार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। पूछा है कि किन परिस्थितियों में वह अतिक्रमण हटाने में विफल रहे हैं? साथ ही अधिकारियों को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कहा कि यदि अतिक्रमणकर्ता के पक्ष में किसी सक्षम न्यायालय का स्थगन आदेश है तो उसे कोर्ट के समक्ष लाया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कृष्णबिहारी मिश्र की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाना अधिकारियों का वैधानिक दायित्व

याची के अधिवक्ता पंकज कुमार गुप्त का कहना था कि सक्षम अधिकारियों को राजस्व संहिता के प्रविधानों के तहत अतिक्रमण हटाने के लिए प्रत्यावेदन दिया गया। उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों का कहना है कि पुलिस फोर्स उपलब्ध न होने के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। इस पर कोर्ट ने याचिका में एसएसपी को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। याची का कहना था कि सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाना अधिकारियों का वैधानिक दायित्व है, जिसका पालन करने में वह असफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में सार्वजिनक भूमि पर सर्वाधिक अतिक्रमण होते हैं। यदि अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन नहीं करेंगे तो इस संबंध में बने कानून बेमानी हो जाएंगे। सरकारी वकील ने बताया कि अतिक्रमणकर्ता के पक्ष में स्थगन आदेश है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि अतिक्रमणकर्ता ने दो याचिकाएं दाखिल की थीं, लेकिन दोनों खारिज हो चुकी हैं। इस पर सरकारी वकील ने बताया कि दोनों याचिकाओं के पुनस्र्थापना की अर्जी लंबित है। हाई कोर्ट का कहना था कि इसका अर्थ है कि इस मामले में कोई स्थगन आदेश नहीं है।

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