प्रयागराज के शिक्षक रामशंकर श्रीवास्तव सिर्फ पढ़ाते ही नहीं गणित को जीते भी थे, हिंदी में लिखीं गणित- विज्ञान की पुस्‍तके

प्रदेश के पूर्व मंत्री डा. नरेन्द्रकुमार सिंह कहते हैं कि रामशंकर श्रीवास्तव आदर्श शिक्षक होने के साथ योग्य भी थे। कहा कि आज से पांच दशक पूर्व गणित और विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों को सरल हिन्दी में प्रस्तुत कर उन्होंने बड़ा कार्य किया था।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 02:09 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 02:09 PM (IST)
प्रयागराज के शिक्षक रामशंकर श्रीवास्तव सिर्फ पढ़ाते ही नहीं गणित को जीते भी थे, हिंदी में लिखीं गणित- विज्ञान की पुस्‍तके
सीएवी इंटर कॉलेज के शिक्षक रामशंकर श्रीवास्तव जी ने हिंदी में गणित-विज्ञान की पुस्तकें लिखकर महत्वपूर्ण कार्य किया था।

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा-यमुना व सरस्वती के संगम के साथ एक समय प्रयागराज शिक्षा-साहित्य व राजनीति का भी संगम हुआ करता था। एक से एक शिक्षाविद् यहां पर थे जिनके नाम और ज्ञान का चहुंओर डंका बजता था। उनसे पढऩा हर विद्यार्थी की चाह होती थी। कक्षाएं खचाखच भरी रहती थीं। पढ़ाने व विषय को समझाने की शैली ऐसी होती थी कि दूसरी कक्षाओं से भी विद्यार्थी आकर उनकी कक्षाओं में बैठ जाते थे। इन्हीं में से एक थे रामशंकर श्रीवास्तव जो सीएवी इंटर कालेज में गणित विषय के अध्यापक थे। फरवरी माह की 16वीं तिथि को 96 वर्ष की उम्र में उनका देहावसान हो गया।

गणित व विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों को किया था हिंदी में प्रस्तुत

प्रदेश के पूर्व मंत्री डा. नरेन्द्रकुमार सिंह कहते हैं कि रामशंकर श्रीवास्तव आदर्श शिक्षक होने के साथ योग्य भी थे। कहा कि आज से पांच दशक पूर्व  गणित और विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों को सरल हिन्दी में प्रस्तुत कर उन्होंने बड़ा कार्य किया था। बताया कि उस समय गणित व विज्ञान की अधिकांश पुस्तकें अंग्रेजी में होती थीं जो हिंदी मीडियम के छात्रों को कम समझ में आती थीं। इसके चलते परीक्षा में कम नंबर पाते थे। कई बार तो फेल भी हो जाते थे। ऐसे में रामशंकर श्रीवास्तव जी ने हिंदी में गणित-विज्ञान की पुस्तकें लिखकर महत्वपूर्ण कार्य किया था। उन्होंने त्रिकोणमिति, कैलकुलस और गति विज्ञान (डायनामिक्स) विषय पर हिंदी में कई पुस्तकें भी लिखी थीं।

शिक्षा के प्रति आजीवन समर्पित रहे, बांटते रहे अपना ज्ञान

सीएवी इंटर कालेज में वर्ष 1954 में  रामशंकर श्रीवास्तव जी के साथ शिक्षण कार्य की शुरूआत करने वाले 91वर्षीय जयराम जी ने कहा कि वे पूरी तरह से शिक्षा व ज्ञान के प्रसार के प्रति समर्पित रहे। विषय पर उनका पूर्ण नियंत्रण होता था। वह गणित बहुत तन्मयता से पढ़ाते थे। पढ़ाने और समझाने का उनका ढंग ऐसा था कि हर विद्यार्थी को समझ में आ जाता था। उनका शिक्षण कार्य उस समय अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा देने वाला होता था। पढ़ाने के ढंग के चलते दूसरी कक्षाओं के छात्र भी उनकी कक्षा में चले आते थे। सामाजिक कार्यकर्ता व्रतशील शर्मा के अनुसार हम सबका सौभाग्य था कि उनका स्नेह-सान्निध्य प्राप्त होता रहा। दो वर्ष पूर्व मुझे उनको सम्मानित करने का गौरव मिला था। वर्ष 1954 में सीएवी इंटर कालेज में शिक्षण कार्य की शुरूआत की थी और 1984 में सेवानिवृत्त हुए थे। बताया कि सीएवी से पहले वे लखनऊ के शिया डिग्री कालेज में गणित के अध्यापक थे लेकिन सैद्धांतिक कारणों से इस्तीफा दे दिया और सीएवी इंटर कालेज में चले आए थे। तब सीएवी इंटर कालेज शहर के बेहतर विद्यालयों में शुमार होता था।

शिक्षा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी था गहरा लगाव

रामशंकर श्रीवास्तव का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से भी गहरा जुड़ाव था। काशी प्रांत के संघ चालक डा. विश्वनाथ निगम, सह व्यवस्था प्रमुख राकेश सिंह सेंगर, सहसेवा प्रमुख नागेंद्र जायसवाल, विभाग शारीरिक प्रमुख अवधेश श्रीवास्तव ने बताया कि वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति जीवन पर्यन्त समॢपत रहे। लेकिन शिक्षा और संघ के कार्यों में कभी घालमेल नहीं करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनका अच्छा संबंध था। लखनऊ में संघ की शाखा में वे अटल जी के साथ जाते थे और कबड्डी आदि भी खेलते थे लेकिन कभी भी जाहिर नहीं किया कि उनका इतने बडे लोगों से संबंध हैं। डा. निगम ने कहा कि प्रखर विद्वान और मनीषी के रूप में वे हमेशा याद किए जाएंगे।

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