आजादी के पूर्व से सहसों में मंचित की जा रही रामलीला आज भी लोकप्रिय

सहसों की रामलीला आजादी से पूर्व सन 1934 से लगातार मंचित की जा रही है। जिस की लोकप्रियता आज भी उतनी ही बनी हुई है। जितनी कि पूर्व में रही। सहसों की श्री आदर्श रामलीला कमेटी की स्थापना सहसों के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 1934 में की गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 12:08 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 12:08 AM (IST)
आजादी के पूर्व से सहसों में मंचित की जा रही रामलीला आज भी लोकप्रिय
आजादी के पूर्व से सहसों में मंचित की जा रही रामलीला आज भी लोकप्रिय

सहसों : सहसों की रामलीला आजादी से पूर्व सन 1934 से लगातार मंचित की जा रही है। जिस की लोकप्रियता आज भी उतनी ही बनी हुई है। जितनी कि पूर्व में रही। सहसों की श्री आदर्श रामलीला कमेटी की स्थापना सहसों के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 1934 में की गई थी। रामलीला मंचन के 85 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी उतनी ही लोकप्रिय रही तथा सहसों के लोगों द्वारा पूरी तन्मयता और उत्साह पूर्वक भगवान राम के चरित्र का मंचन किया जा रहा है।रामलीला कमेटी के संरक्षक एवं 1939-40 में भगवान श्री राम की भूमिका निभाने वाले 91 वर्षीय प्रेम धर द्विवेदी ने बताया कि भगवान श्री राम का अभिनय करके उस समय में अभिभूत हो गया था। जो आज तक हमारे मन मस्तिष्क में विद्यमान है। उन्होंने बताया कि उस दौर में माइक की व्यवस्था नहीं थी सभी पात्रों की अपनी वास्तविक आवाज ही दर्शकों तक पहुंचती थी। आसपास के कई गांव के दर्शक रामलीला मंचन देखने के लिए सायंकाल से ही रामलीला स्थल पर पहुंच जाते थे। उन्होंने बताया दशहरे मेले के दिन आसपास के कई गांव से इक्का, तांगे पर चौकिया निकाली जाती थीं। जो अपने आप में अद्वितीय अछ्वुत होने के कारण देर रात तक लोग देखने के लिए डटे रहते थे। दशहरे मेले के पश्चात भरत मिलाप के दिन सामाजिक परिवर्तन हेतु विभिन्न प्रकार के नाटकों का मंचन भी आकर्षण का केंद्र होता था। व्यवस्था के विषय में उन्होंने बताया कि उस समय कमेटी के सदस्यों में गंगासागर, राम शरण सिंह, भागीरथी सिंह, रामकृपाल श्रीवास्तव, जगपत सिंह तथा कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष रामानंद सिंह की सराहनीय भूमिका के चलते गांव में लोगों से चंदा के तौर पर अनाज इकट्ठा करना तथा रामलीला के मंचन की पूरी व्यवस्था संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। जिसकी तैयारी एक माह पूर्व से प्रारंभ कर दी जाती थी। जिसमें पात्रों का चयन से लेकर रिहर्सल तक शामिल रहता था। उस समय की रामलीला में भगवान राम के लीलाओं के मंचन को देखने के लिए लोगों में अगाध प्रेम व आस्था झलकती थी। जिसके लिए वे पूरी रात श्रद्धा के साथ बैठकर देखते थे।

86 वर्षों से चल रही रामलीला पर कोरोना का ग्रहण

सहसों की रामलीला 85 वर्षों से लगातार मंचित की जा रही थी। परंतु इस बार वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते श्री आदर्श रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों ने रामलीला मंचन तथा दशहरे मेले का आयोजन भी नहीं कराने का निर्णय लिया है। परंतु पूíणमा के दिन होने वाले दशहरे मेले व पुतला दहन के दिन सुंदरकांड पाठ का आयोजन तथा रावण का पुतला दहन किया जाएगा। यह सब आयोजन पूíणमा के दिन सूर्यास्त के पूर्व संपन्न कर लिया जाएगा। यह जानकारी कमेटी के अध्यक्ष रामानंद सिंह, प्रबंधक मनोज तिवारी तथा महामंत्री धरणीधर द्विवेदी ने दी है।

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