रक्षाबंधन की महफिल लूट ले गई देशी राखियां
चाइनीज सामानों के बहिष्कार का जो संकल्प लोगों ने लिया है उसका असर राखी के बाजार पर भी दिखा। देशी राखियों ने चाइनीज को बहुत पीछे छोड़ दिया।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: चाइनीज सामानों के बहिष्कार का जो संकल्प लोगों ने लिया है उसका असर राखी के बाजार पर स्पष्ट देखने को मिला। दुकानों पर देशी राखियां ही छायी रहीं। बहनें दुकानदारों से राखियां पसंद करते समय यह पूछती भी नजर आई कि भैया यह चाइनीज तो नहीं ? मोतियों और नगों से स्थानीय स्तर पर बनी राखियों से ग्राहकों का मोह अधिक रहा।
पिछले साल तक 60 से 70 फीसद चाइनीज राखियों का बाजार पर कब्जा रहता था। इस बार दुकानों के काउंटर से चाइनीज राखियां गायब रहीं। दुकानदारों ने भी 'चाइनीज' पर जुआ नहीं खेला। जिन दुकानदारों के पास पिछले साल का स्टॉक बचा था, उन्होंने उसे खपाने की कोशिश जरूर की, लेकिन शाम तक वह राखियां धरी ही रह गई। चौक, सिविल लाइंस, कटरा, मुंडेरा, प्रीतमनगर, सुलेमसराय, अल्लापुर, खुल्दाबाद, रामबाग, बैरहना, गोविदपुर, सोहबतियाबाग समेत शहर के सभी बाजारों में राखियों की बिक्री का यही हाल रहा। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां भी खूब बिकीं।
राखी के थोक कारोबारी मो. कादिर का कहना है कि दो दिनों में करीब 60 फीसद तक कारोबार हुआ। पिछले वर्ष रक्षाबंधन पर लगभग 10 करोड़ का कारोबार हुआ था। इस बार करीब छह करोड़ का व्यापार होने का अनुमान है। बोले, बाजार में चाइनीज राखियां नहीं आई। मीरापुर में राखी की दुकान लगाने वाले रवि और अरविद ने बताया कि इस बार बाजार में चाइनीज राखियां नहीं बिकीं।
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मोतीचूर के लड्डू, काजू और मेवे की मिठाइयां ज्यादा बिकीं
मिठाइयों की बिक्री भी खूब हुई। हालांकि सोमवार को रविवार की तुलना में करीब 50 फीसद ही कारोबार हुआ। ज्यादा मांग मोतीचूर के लड्डू, काजू और मेवे की मिठाइयों की रही।