एक शख्स ऐसा जो अपने जन्मदिन पर उपहार में दूसरों को देता है रक्त यानी खून Prayagraj News

राजीव प्रतियोगी छात्र हैं। उन्‍होंने अब तक 65 बार रक्तदान करने का खिताब हासिल किया है। अपने जन्‍मदिन पर वह जरूरतमंदों को रक्‍तदान करना कभी नहीं भूलते।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 05:35 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 05:35 PM (IST)
एक शख्स ऐसा जो अपने जन्मदिन पर उपहार में दूसरों को देता है रक्त यानी खून Prayagraj News
एक शख्स ऐसा जो अपने जन्मदिन पर उपहार में दूसरों को देता है रक्त यानी खून Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। ब्लड यानी खून के अभाव में भाई की मौत ने राजीव मिश्र को इस तरह झकझोर दिया कि वह रक्तदाता बन गए। अब तो वह अपने हर जन्मदिन पर उपहार स्वरूप ब्लड (रक्त) जरूरतमंद को देना नहीं भूलते हैं। अब तक 65 बार रक्तदान कर चुके राजीव को राज्यपाल समेत अन्य लोगों द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

भाई की मौत ने बलिया के राजीव को रक्तदाता बना दिया

यदि किसी भी जरूरतमंद को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो राजीव ब्लड देने से कतराते नहीं हैं। मूलत: बलिया के रहने वाले राजीव के भाई अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टर ने रक्त लाने के लिए कहा लेकिन ए-निगेटिव ब्लड गु्रप होने के कारण ब्लड नहीं मिल सका और उनके सामने ही भाई हमेशा के लिए साथ छोड़ गया। इस घटना के बाद से उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपने रक्त से लोगों की जान बचाएंगे। प्रयागराज में शोध छात्र होने के साथ ही वह अपने प्रत्येक जन्मदिन पर जरूरतमंद को ब्लड देना नहीं भूलते। जन्मदिन के अलावा भी वह अस्पतालों में जाकर रक्तदान करते हैं।

राज्यपाल ने किया है सम्मानित

लखनऊ, दिल्ली, मुंबई व कश्मीर जैसे राज्यों में भी राजीव जाकर रक्तदान करते हैं। रक्तदान के इस प्रयास के लिए तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक उन्हें राजभवन में सम्मानित भी कर चुके हैं।

श्रवण की मां को ब्लड कैंसर था, अस्पताल पहुंच राजीव ने उन्हें रक्त दिया

रीवा के रहने वाले श्रवण कुमार की मां को ब्लड कैंसर था। कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में भर्ती थीं। तत्काल ब्लड की आवश्यकता थी। सूचना मिलने पर राजीव अस्पताल पहुंचे और उन्हें ब्लड दिया। श्रवण कुमार कहते हैं कि राजीव मिश्रा बुरे वक्त में हमारे साथ थे।

सड़क हादसे में जख्मी रविंदर की बचाई जान

बलिया के सुन्ना गोंड़ के भाई रविंदर सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे, रक्त की आवश्यकता थी। उन दिनों राजीव अपने घर पर थे। जानकारी होने पर वह तत्काल अस्पताल पहुंच गए और रक्तदान किया। समय पर खून मिल जाने के कारण रविंदर की जान बच गई।

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