बरस रहे मेघ और साथ में प्रयागराज में हो रही बीमारियों की बरसात, ऐसे में ध्यान रखना है बेहद जरूरी

दूषित पानी से लोग डायरिया पेट दर्द टायफाइड और त्वचा रोग से ग्रसित हो रहे हैं। अस्पतालों की ओपीडी संचालित होने लगी तो मरीजों को थोड़ी राहत पहुंची है। डाक्टर यह बता रहे हैं कि लोग बरसात के पानी में ज्यादा न भीगें गंदगी वाले स्थान पर जाने से बचें

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 12:13 PM (IST)
बरस रहे मेघ और साथ में प्रयागराज में हो रही बीमारियों की बरसात, ऐसे में ध्यान रखना है बेहद जरूरी
अस्पतालों की ओपीडी में आ रहे उल्टी-दस्त, टायफाइड के मरीज, फिजीशियन की ओपीडी में ज्यादा भीड़

प्रयागराज. जेएनएन। कोरोना से सुरक्षित लोगों के सामने अब मौसमी बीमारियों से बचाव करने की बड़ी चुनौती है क्योंकि मानसून आने के साथ ही बीमारियों की बरसात हो पड़ी है। दूषित पानी से लोग डायरिया, पेट दर्द, टायफाइड और त्वचा रोग से ग्रसित हो रहे हैं। अस्पतालों की ओपीडी संचालित होने लगी तो मरीजों को थोड़ी राहत पहुंची है। दवा के अलावा डाक्टर यह भी बता रहे हैं कि लोग बरसात के पानी में ज्यादा न भीगें, गंदगी वाले स्थान पर जाने से बचें और दूषित पानी से बचाव ज्यादा जरूरी है।

डाक्टर दे रहे दूषित पानी से बचने की सलाह

सबसे अधिक मरीज मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) में पहुंच रहे हैं। घनी बस्तियों में रहने वाले लोग इस अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। इसी तरह प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निजी क्लीनिक पर भी मरीज पहुंच रहे हैं। काल्विन अस्पताल में सोमवार को फिजीशियन कक्ष और पैथालाजी में मरीजों की भीड़ ज्यादा रही। चर्मरोग विभाग की ओपीडी बंद रही इसलिए यहां आने वाले मरीज लौटा दिए गए। सोमवार को टायफाइड, मलेरिया की जांच के लिए करीब दो दर्जन लोगों को डाक्टरों ने पैथालाजी भेजा। उल्टी-दस्त और हड्डियों में दर्द के मरीज की तादाद भी धीरे-धीरे बढ़ रही है।

अस्पताल के फिजीशियन कक्ष में भी भीड़

स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के फिजीशियन कक्ष में भी भीड़ रही। वहां भी मौसमी बीमारियों के मरीज पहुंचे। डाक्टरों ने दवाओं के साथ उन्हें गंदे पानी से बचे रहने की सलाह दी। काल्विन अस्पताल की प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. सुषमा श्रीवास्तव ने बताया कि चर्मरोग विभाग के डाक्टर फिलहाल ट्रेनिंग के चलते अस्पताल नहीं आ रहे हैं इसलिए मरीजों को दवा और परामर्श की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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