निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों ने फूंका बिगुल, निकाला जुलूस

निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों ने रविवार को बिगुल फूंका7 जूलूस निकालकर अपनी नाराजगी जाहिर की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 08:37 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 08:37 PM (IST)
निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों ने फूंका बिगुल, निकाला जुलूस
निजीकरण के विरोध में रेलकर्मियों ने फूंका बिगुल, निकाला जुलूस

जागरण संवाददाता, प्रयागराज: 'रेल बचाओ देश बचाओ' आंदोलन के तहत रविवार को रेलवे की विभिन्न यूनियनों ने ने विरोध का बिगुल फूंका और जुलूस निकाला। निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद की।

नार्थ सेंट्रल रेलवे इंप्लाइज संघ के तत्वावधान में रेल कर्मियों ने प्रयागराज स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया। महामंत्री आरपी सिंह ने कहा कि अब करो या मरो का समय आ गया है। भारत सरकार बीएसएनएल की तरह रेलवे को भी प्राइवेट हाथों में बेचने जा रही है। मंडल मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि कोरोना की आड़ में सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर श्रम संगठनों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। सहायक महामंत्री एसके मिश्रा और आलोक सहगल ने कहा कि न्यूनतम वेतन 26 हजार करने, ग्रेड पे 2400-2800, 4600-4800 का मर्जर आदि मुद्दों पर सरकार ने कुछ नहीं किया। वहीं, मुख्यालय शाखा के सहायक महामंत्री एसके सिंह और सत्यनारायण शाखा ने मंत्री सुरेंद्र तिवारी के नेतृत्व में सूबेदारगंज स्थित टीआरडी कार्यालय में प्रदर्शन किया गया। एसके सिंह, अखिलेश सिंह राठौर, बीके यादव, सत्यम गुप्ता, राकेश कुमार, एसके शर्मा आदि शामिल रहे। देश के सामने बड़ी चुनौती

नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के तत्वावधान में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर आयोजित लोको शाखा की मीटिग में महामंत्री आरडी यादव ने कहा कि आज न सिर्फ रेल कर्मचारियों बल्कि देश के सामने बड़ी चुनौती खड़ी है। सरकार रेलवे को निजी हाथों में बेचने और उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने जा रही है। मंडल मंत्री डीएस यादव ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने 31 मार्च 2021 तक सभी स्थानांतरण स्थगित कर दिया है। इसके बावजूद इलाहाबाद मंडल में स्थानांतरण के लिए आदेश निकाले जा रहे हैं। मीटिग में मोहिबुल्लाह, डीके मोरिया, आरआर सिंह, एसके सिंह, एके सिंह, अनिल कुमार, राजू प्रसाद, बिपिन बिहारी, अक्षय मिश्रा, नागेंद्र बहादुर आदि शामिल थे। प्रयाग रेलवे स्टेशन पर भी प्रदर्शन

नार्दन रेलवे मेंस यूनियन की प्रयाग शाखा ने प्रयाग रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया। नेतृत्व कर रहे शाखा मंत्री राजीव रतन शुक्ला, मंडल कोषाध्यक्ष विजय कुमार मिश्रा, एसएस सिंह, एसके सिंह, श्याम पाठक, एसडी कनौजिया, शैलेंद्र कुमार यादव, गोविद यादव आदि ने निजीकरण का विरोध किया। थरवई स्टेशन पर शाखा अध्यक्ष आरके यादव, ऊंचाहार सेक्शन में सहायक शाखा मंत्री बीबी सिंह, युवा संयोजक केवी यादव के नेतृत्व में हल्लाबोल कर विरोध दर्ज कराया गया।

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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया सत्याग्रह

- सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण करने का विरोध

- श्रम कानूनों को लचीला बनाने से सब पर कारपोरेट का हो जाएगा कब्जा जासं, प्रयागराज: 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन की वर्षगांठ पर ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर रविवार को बालसन चौराहा पर सत्याग्रह किया गया। इसके जरिए कोरोना आपदा में भी मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण करने का विरोध किया गया। कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि श्रम कानूनों को कारपोरेट के पक्ष में लचीला बनाया जा रहा है, जिससे भविष्य में सभी उद्योगों, सेवाओं, जल-जंगल और जमीन पर देशी-विदेशी कारपोरेट का कब्जा हो जाएगा। देश की जनता दर-दर की ठोकर खाने को बाध्य होगी।

वक्ताओं ने आगे कहा कि इस समय करीब 21 लाख देशवासी कोरोना से पीड़ित हैं। उन्हें स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के बजाय सरकार रेलवे, एलआइसी, कोयला खदान, आíडनेंस कारखाने, बिजली, मंडी परिषद, अंतरिक्ष स्टेशन आदि को बेचकर अवसर में बदलना चाहती है। सत्याग्रह में एटक के राम सागर, नसीम अंसारी, अनु सिंह, सीटू के हरिश्चंद्र द्विवेदी, अविनाश मिश्रा, इंटक के देवेंद्र प्रताप सिंह, एक्टू के डा. कमल, एसपी बहादुर, एआइयूटीयूसी के राजवेंद्र सिंह, प्रमोद गुप्ता, सुभाष पांडेय, संदीप, नीशू, गिरिधर गोपाल त्रिपाठी, आनंद मालवीय आदि लोग उपस्थित थे। ये हैं प्रमुख मांगें

-पब्लिक सेक्टर के निजीकरण पर तत्काल रोक लगायी जाय।

-श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव को तुरंत रोका जाय।

-गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को प्रति इकाई 10 किलो राशन मुहैया कराया जाए।

-जो आयकरदाता नहीं हैं, उनके खाते में 7500 रुपये प्रतिमाह भेजा जाए।

-स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम 10 हजार रुपये महीने दिया जाय और सभी स्वास्थ्य उपकरण मुहैया कराया जाए।

-बिजली संशोधन कानून और मंडी परिषद कानून 2020 तत्काल वापस लिया जाय।

-कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते एवं अन्य भत्तों पर लगी रोक तुरंत वापस ली जाय।

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