गंगा की पवित्रता समाज की जिम्मेदारी: आरिफ मोहम्मद

पतित पावनी मां गंगा की आज जो दशा है उस पर चिता होती है। गंगा की पवित्रता बनाने के लिए समाज को आगे आना होगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 12:33 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 12:33 AM (IST)
गंगा की पवित्रता समाज की जिम्मेदारी: आरिफ मोहम्मद
गंगा की पवित्रता समाज की जिम्मेदारी: आरिफ मोहम्मद

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : पतित पावनी मां गंगा की आज जो दशा है उस पर चिता होती है। अविरल, निर्मल गंगा के लिए प्रयास तो खूब हुए। सरकारी कार्यक्रम बने, घोषणाएं हुईं, चिता व्यक्त की गई और क्रियान्वयन भी हुआ। सभी चीजें लगभग सही दिशा में थीं लेकिन अफसोस इस बात का है कि पूरी गतिविधियों से हमारा समाज उस तरह नहीं जुड़ा जैसी अपेक्षा थी। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने यह बातें यहां शनिवार को कहीं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के यंग लायर्स एसोसिएशन की तरफ से उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) प्रेक्षागृह में मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल, निर्मल धारा व संरक्षण विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल ने कहाकि भारतीय संस्कृति व गंगा की अविरलता पर हमें गर्व करना चाहिए। मां गंगा हम सभी को अपने आंचल में स्थान देती हैं और हमें सोचना होगा कि क्या हम उस लायक हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में गंगा नहीं हैं। फिर भी वहां की संस्कृति, साहित्य, शिक्षा और मनोभाव में मां गंगा की पावनता प्रयागराज जैसी है। हमें यह प्रयास करना होगा कि गंगा साफ रहें, प्रदूषित न हों और जल से समृद्ध रहें। तटवर्ती क्षेत्रों में बसे देश के लगभग 40 करोड़ लोगों की यह महती जिम्मेदारी है।

अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहाकि हरिद्वार में 1974 में बैराज बना दिया गया। वहां गंगा से प्रतिदिन 70 मिलियन लीटर पानी लिया जाता है। इसे भीमगारा बैराज कहते हैं। फिर चौधरी चरण सिंह मध्य गंगा बैराज बिजनौर, चौधरी चरण सिंह बैराज अलीगढ़, कानपुर में बैराज आदि बना दिए गए। इससे प्रयागराज आते आते लगभग 80 फीसद पानी गंगा से निकाल लिया जाता है। जब पानी में वेग ही नहीं रहेगा तो गंगा स्वच्छ कैसे होंगी? उन्होंने बताया कि 1970 से 1990 तक गंगा स्वच्छता के नाम पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च हो गए लेकिन गंगा वैसी की वैसी हैं। स्वीकृत धन का दोहन जिन्होंने किया, उनकी आज तक जवाबदेही तय नहीं की गई, यह अचरज है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चंद्र राजवंशी और यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी, महासचिव जेबी सिंह भी वक्ताओं में थे। संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता डा. संतोष जैन ने किया।

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