Pt. Deen Dayal Upadhyay Birth anniversary : पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने प्रयाग में दिया था आत्मनिर्भरता का मंत्र
Pt. Deen Dayal Upadhyay Birth anniversary वर्ष 1967 में पंडित जी शहर में किसी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। रास्ते में रिक्शे से उतरने के दौरान धोती फंस कर फट गई। कार्यकर्ताओं ने सिलवाने की बात कही लेकिन पंडित जी ने खुद सिल लेने की बात कही।
प्रयागराज [ अमलेंदु त्रिपाठी ]। Pt. Deen Dayal Upadhyay Birth anniversary मथुरा में 25 सितंबर 1916 को जन्मे जनसंघ के संस्थापकों में एक दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व का साक्षी संगमनगरी भी रही है। वह यहां छात्र रहे और वक्ता भी। आत्मनिर्भरता का मंत्र अनूठे अंदाज में दिया। वैसे शहर में उनकी प्रतिमा को दो दशक से अनावरण का इंतजार है। यह हाल तब है जब उनके अनुयायी देश और प्रदेश की सत्ता में हैैं।
सबस पहले बात आत्मनिर्भरता से जुड़े मंत्र की। वर्ष 1967 में पंडित जी शहर में किसी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। जंक्शन से महाजनी टोला स्थित संघ कार्यालय जा रहे थे। रिक्शे से उतरने के दौरान धोती फंस कर फट गई। कार्यकर्ताओं ने सिलवाने की बात कही, लेकिन पंडित जी ने खुद सिल लेने की बात कही। बोले, 'सिलवाने में पैसा लगेगा। मेरे पास जो रुपये हैं, वह गुरुदक्षिणा के हैं। इसका उपयोग मैैं अपने ऊपर नहीं कर सकता।' इस प्रसंग के साक्षी रहे कर्नलगंज के पूर्व पार्षद राधेकृष्ण गोस्वामी बताते हैं कि पंडित जी के झोले में सिर्फ धोती, कुर्ता और अंगोछा रहता था। इससे पहले वर्ष 1966 में किसी कार्यक्रम से लौटते समय वह भीग गए। रात में ट्रेन थी। कार्यकर्ताओं ने पंखा चलाकर कपड़े सुखाने का प्रयास किया। ट्रेन का समय हो रहा था, इसलिए पंडित जी भीगे कपड़े पहनकर ही चल पड़े।
शीतशिविर में आई थी मौत की सूचना
फरवरी 1968 में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियनिंग एंड रूरल टेक्नालॉजी के पास मैदान में तीन दिनी शीत शिविर लगा था। गुरु गोलवलकर बौद्धिक दे रहे थे, तभी मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें एक पर्ची दी। उसे देख गोलवलकर जी बोले- 'दीनदयाल तो गया।' स्वयंसेवकों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी और शिविर समाप्त कर दिया गया।
शहर में हुई सभाएं भी स्मृतियों में
स्वयंसेवक और दारागंज के पूर्व पार्षद केके तिवारी बताते हैं कि 1962 में विधानसभा चुनाव लड़ रहे मधुसूदन लाल भार्गव के समर्थन में नेतराम चौराहे पर हुई सादगी भरी सभा भी पंडित जी ने संबोधित की थी। स्वयंसेवक व ऊंटखाना निवासी प्रेमचंद पाठक को याद है कि जब वह 11वीं में थे तब पंडित जी ने पीडीटंडन पार्क में सभा संबोधित की थी और अंत्योदय पर जोर दिया था।
उत्तीर्ण की थी बीटी की परीक्षा
संगमनगरी में पं. दीनदयाल उपाध्याय छात्र के रूप में भी रहे थे। सत्र 1941-42 में उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान (तत्कालीन राजकीय केंद्रीय अध्यापन विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद) से बीटी (बिगनिंग टीचर प्रोग्राम) की परीक्षा पास की। वह संस्थान के छात्रावास के कमरा नंबर 16 में रहते थे। यहीं वर्ष 2000 में लाई गई उनकी प्रतिमा का अब तक अनावरण नहीं हो सका है।