प्रयागराज के धान बाहुल्य इलाके में इस विशेष बीज ने तो कमाल ही कर दिया है, जानें किसानों को क्‍या हुआ फायदा

धान की आम बालियों की तुलना में नई प्रजाति की फसल की बालियों में अधिक दाने लगने से प्रयागराज में काश्तकारों के चेहरे खिल उठे हैं। लालगोपालगंज के दक्षिण दिशा में कमलापुर जान बक्स का पूरा और बिजलीपुर आदि गांव के काश्तकार धान की खेती को अहमियत देते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 02:44 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 02:44 PM (IST)
प्रयागराज के धान बाहुल्य इलाके में इस विशेष बीज ने तो कमाल ही कर दिया है, जानें किसानों को क्‍या हुआ फायदा
इस साल जिले के धान बाहुल्य इलाके में इस बार विशेष बीज का किसानों ने प्रयोग किया है।

प्रयागराज, जेएनएन। कहते हैैं किसानी में धान ही शान है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान को अन्नदाता धरती का हरा सोना भी कहते हैैं। इस साल जिले के धान बाहुल्य इलाके में इस बार विशेष बीज का किसानों ने प्रयोग किया है। इसने तो कमाल ही कर दिया है। इससे उत्पादन तो कई दुना बढ़ा ही, इसकी कीमत भी काफी मिल रही है।

अमूमन यह देखा जाता है जिस धान का उत्पादन ज्यादा होता है वह मोटा होता है। मोटे चावल की कीमत कम होती है। पतले चावल की कीमत ज्यादा होती है तो इसके धान का उत्पादन कम होता है। मगर इस बार जिले के कई इलाकों के किसानों ने ऐेसे धान की खेती की है जो पतला और लंबा है ही, साथ ही उसका उत्पादन भी ज्यादा हुआ है। प्रयागराज से लखनऊ जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित लालगोपालगंज इलाके काफी संख्या में किसानों ने धान की नई प्रजाति की रोपाई कराने के साथ ही अपनी किस्मत आजमाया।

नई प्रजाति की फसल की बालियों की यह है खासियत

धान की आम बालियों की तुलना में नई प्रजाति की फसल की बालियों में अधिक दाने लगने से काश्तकारों के चेहरे खिल उठे हैं। लालगोपालगंज के दक्षिण दिशा में कमलापुर जान बक्स का पूरा और बिजलीपुर आदि गांव के काश्तकार धान की खेती को अहमियत देते हैं। वर्षों से नामचीन धान की पुरानी प्रजातियों की काश्तकारी करने पर किसान मजबूर होते रहे हैैं। हालांकि इन्हीं खेतों के बीच धान की नई प्रजाति पर विश्वास करते हुए कृष्णा कांत पांडेय निवासी कमलापुर, अजय पांडेय निवासी बिजलीपुर, उमाशंकर पांडेय आदि किसानों ने धान की कई बीघा फसलों पर अपनी किस्मत आजमाया।

काश्तकारों का अधिक रुझान बढ़ा है

इनकी लहलहाती फसल में लटक रही एक बालिश्त से बड़ी धान की बाली में 300 से अधिक दाने शुमार किए जा रहे हैं। कुछ किसानों ने तो इस धान की सटकाई (मड़ाई) भी कर लिया है जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ है। किसानों ने बताया कि धान की नई प्रजाति श्रेष्ठ गोल्ड का यह कमाल है। इस ओर काश्तकारों का अधिक रुझान बढ़ा है।

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं रह गया है
बताते हैैं कि खेती करना अब आसान नहीं रह गया है। अधिक लागत लगाए जाने के बाद भी मौसम की मार, बेसहारा मवेशियों का आतंक और फसलों को नष्ट करने वाली विभिन्न प्रकार की उपजती बीमारियों से किसान तंग हैं। हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी लहलहाती फसल बर्बाद होने का किसानों को हरदम चिंता सताती है। इस बार जिन किसानों ने इस नई प्रजाति के धान की फसल किया है, उसे काफी लाभ हो रहा है।

chat bot
आपका साथी