Coronavirus संक्रमण में इनकी तो बल्ले-बल्ले, लग्जरी सफर के नाम पर श्रमिकों की जेब कर रहे हल्की
कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल में प्रतापबढ़ में कई निजी बस संचालक मनमानी कर रहे हैं। लग्जरी सुविधा के नाम पर गंतव्य तक जाने के लिए मनमाना किराया वसूल रहे हैं। एआरटीओ का कहना है कि अभियान चलाकर इस मनमानी को रोकेंगे।
प्रतापगढ़, जेएनएन। सरकार ने कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए ट्रेन संचालन बंद कर दिया था। हालांकि अब कुछ गाडिय़ां चली हैं लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं हैं। इसका फायदा उठा रहे हैं निजी बस संचालक। वह बिना परमिट के दूसरे प्रदेशों तक सवारी ढो रहे हैं। रोजी-रोटी के लिए परदेस जा रहे श्रमिकों से लग्जरी बसों में सफर के नाम पर मनमाना किराये की वसूली की जाती है। इनके खिलाफ परिवहन विभाग ने कार्रवाई तो की लेकिन फिर भी इनकी मनमानी अब भी जारी है।
लग्जरी बस संचालक कर रहे कमाई
साधारण सुविधा देकर लग्जरी का किराया ले रहे हैं। मुंबई का किराया तीन हजार तक वसूल रहे हैं। इन दिनों जब से सरकार ने अनलाक का दायरा बढ़ाया है, तब से लग्जरी बस संचालक खूब कमाई कर रहे हैं। ट्रेन सेवा बहाल न होने के चलते प्रवासी मजदूरों को ढोने के नाम पर संचालक सारे नियमों को दरकिनार करके बसों का संचालन मुंबई, सूरत, दिल्ली, अहमदाबाद, चंडीगढ़, गुरुग्राम जैसे महानगरों के लिए कर रहे हैं। वह परमिट का उल्लंघन तो कर ही रहे हैं ओवरलोड सवारियां भरकर प्रवासी मजदूरों की जान भी जोखिम में डाल रहे हैं।
कोविड-19 के नियमों की उड़ा रहे धज्जी
शहर के भंगवा चुंगी, भुपियामऊ, लालगंज, सांगीपुर, अंतू, चिलबिला, मोहनगंज सहित विभिन्न बाजारों से बसें संचालित कर रहे हैं। चौराहों पर सैकड़ों मजदूरों की भीड़ जमाकर कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के नियम-कानून की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। बस में जनरल सीट के नाम पर मोटा किराया वसूलते हैं। इस पर एआरटीओ सुशील कुमार मिश्र ने पिछले महीने हाईवे पर खुद खड़े बसों के कागजात चेक किए। विश्वनाथगंज बाजार के पास और गंजेहड़ा के जंगल में बस के कागजात परखे। एक बस में क्षमता से अधिक यानी 70 प्रवासी मजदूरों को मुंबई ले जाने का मामला भी एआरटीओ ने पकड़ा था। इसके बाद भी बसों का संचालन नियमों के खिलाफ चल रहा है।
बोले, एआरटीओ सुशील कुमार मिश्र
एआरटीओ सुशील कुमार मिश्र का कहना है कि इस तरह की कमियों पर बसों का चालान करने का अभियान चलाया जाएगा। मनमानी नहीं करने दी जाएगी।