Naini Central Jail की सलाखों के पीछे कैदी सीख रहे हुनर, बाहर आने पर मिल सकेगा रोजगार
बंदियों को ट्रेनिंग देने के लिए टीएस स्किल एंड टेक प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी का चयन हुआ है। यह एजेंसी जेल से बाहर निकलने वाले कैदियों का न सिर्फ रोजगार उपलब्ध करवाएगी बल्कि उन्हें स्वरोजगार के लिए बैंक से लोन भी दिलवाने का काम करेगी
ताराचंद्र गुप्ता, प्रयागराज। जिन हाथों से लूट, हत्या, डकैती जैसा जघन्य अपराध किया था, अब वही हाथ समाज को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। जाने, अनजाने में हुई गलतियों की सजा पाने वाले बंदियों को जेल के भीतर सकारात्मक माहौल मिल रहा है। दिलो दिमाग से अपराध बोध को कम करने के साथ ही उनके हुनर को तराशा जा रहा है। ताकि सलाखों के बाहर आने के बाद कैदियों को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े।
पीएमएसवाइ के तहत 144 कैदियों को दिया गया प्रशिक्षण
शासन के निर्देश पर ऐसी ही बेहतर पहल नैनी सेंट्रल जेल की ओर से की गई है। तय किया गया है कि ऊर्जावान, बेहतर काम करने और जेल में किसी तरह का विवाद न करने वाले सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को हुनरमंद बनाया जाए। इसके तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमएसवाइ) के तहत उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। बंदियों को ट्रेनिंग देने के लिए टीएस स्किल एंड टेक प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी का चयन हुआ है। यह एजेंसी जेल से बाहर निकलने वाले कैदियों का न सिर्फ रोजगार उपलब्ध करवाएगी, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के लिए बैंक से लोन भी दिलवाने का काम करेगी। एजेंसी के हेड नई दिल्ली निवासी रणधीर कुमार ने नैनी सेंट्रल जेल में बंद 144 कैदियों को अलग-अलग ट्रेड में ट्रेनिंग देकर ट्रेंड कर चुके हैं। आगे भी ऐसा करने की तैयारी है।
पांच ट्रेड में दी गई ट्रेनिंग
पहले चरण में नैनी सेंट्रल जेल में बंद करीब साढ़े चार हजार कैदियों में 150 का चयन किया गया। फिर उन्हें बागवानी, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर फर्नीचर, प्लंबर और राजमिस्त्री की ट्रेनिंग दी गई। तीन महीने के कोर्स में उन्हें बेहतर ढंग से काम करने और उसमें पारंगत होने की बारीकियां सिखाई गईं। एक ट्रेड के लिए 30 बंदियों को चुना गया, जिसमें 130 सजायाफ्ता और 20 बंदी विचाराधीन रहे। हालांकि कोरोना काल में छह की रिहाई हो गई, जिसके बाद 144 को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया। अभी सभी बंदी जेल के भीतर ही ट्रेनिंग के अनुरूप अपना-अपना काम करते रहेंगे। मगर भविष्य में जेल से छूटने के बाद वह आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
जेल अधीक्षक का है कहना
पीएमएसवाइ के तहत जेल में निरुद्ध 144 कैदियों को अलग-अलग ट्रेङ्क्षनग दी गई है। जेल से छूटने के बाद एजेंसी उन्हें काम और लोन भी दिलवाएगी। एजेंसी के पास प्रशिक्षित बंदियों की पूरी जानकारी उपलब्ध है।
- पीएन पांडेय, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, नैनी सेंट्रल जेल