प्रतापगढ़ में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जेल प्रशासन अलर्ट

जिले की जेल की क्षमता 458 बंदी रखने की है लेकिन यहां हमेशा क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी बंद रहते हैं। इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण करीब पांच महीने पहले लॉकडाउन घोषित किया गया था। इसकी वजह से करीब डेढ़ महीने तक कोर्ट बंद थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 03:12 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 03:12 PM (IST)
प्रतापगढ़ में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जेल प्रशासन अलर्ट
दस दिन कोई लक्षण नहीं मिलने पर उसे स्थाई जेल में भेजा जाता है।

प्रतापगढ़,जेएनएन।  कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जेल प्रशासन पूरी तरह सतर्कता बरत रहा है। किसी आरोपित को जेल भेजने पर पहले उसे अस्थाई जेल में रखा जाता है। फिर दस दिन कोई लक्षण नहीं मिलने पर उसे स्थाई जेल में भेजा जाता है।

क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी

जिले की जेल की क्षमता 458 बंदी रखने की है, लेकिन यहां हमेशा क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी बंद रहते हैं। इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण करीब पांच महीने पहले लॉकडाउन घोषित किया गया था। इसकी वजह से करीब डेढ़ महीने तक कोर्ट बंद थी। इस समय जेल में 12 सौ से अधिक बंदी बंद है। जेल में पहले 11 बैरक, एक महिला बैरक व एक बच्चा बैरक क्रियाशील थी। जब बंदियों की संख्या बढऩे लगी तो जर्जर हो चुकी बैरक की मरम्मत कराकर उसे रहने लायक बनाया गया।

नए बंदियों को पहले रखा जाता है अस्‍थाई जेल में

जेल में कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जेल प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। गिरफ्तार करके जेल भेजे जाने वाले बंदियों को रखने के लिए पहले राजकीय इंटर कालेज को अस्थाई जेल बनाया गया था। बाद में जेल परिसर में स्थित पुराने आवास को दुरुस्त कराकर दो अस्थाई जेल बना दिया गया। पहले आरोपितों को अस्थाई जेल में रखा जाता है। हफ्ते भर तक यह देखा जाता है कि उसमें कोई कोरोना का लक्षण तो नहीं है। लक्षण न होने पर ही स्थाई जेल में उस बंदी को भेजा जाता है। अगर लक्षण मिलता है तो पहले उसकी कोरोना जांच कराई जाती है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही उसे जेल में रखा जाता है। अस्थाई जेल की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हहैं।

chat bot
आपका साथी