Coronavirus संक्रमण के दौर में खाद्य तेलों की कीमतों ने फिर लगाई छलांग, आम जनता व व्‍यापारी परेशान

इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि सरसों की फसल अच्छी न होने से रेट में वृद्धि होने की बात कही जा रही है। वहीं कंपनियों के मनमाने दाम बढ़ाने पर सरकार को रोक लगाना चाहिए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 09:09 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 12:58 PM (IST)
Coronavirus संक्रमण के दौर में खाद्य तेलों की कीमतों ने फिर लगाई छलांग, आम जनता व व्‍यापारी परेशान
खाद्य तेलों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इससे आम लोगों के साथ व्‍यापार वर्ग भी प्रभावित है।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच खाद्य तेलों की कीमतों में और तेजी होती जा रही है। खाद्य तेलों की थोक कीमतों में 10 से 20 रुपये टिन की और वृद्धि हुई है। खाद्य तेलों की लगातार बढ़ोतरी से व्यापारी परेशान हैं। वहीं दूसरी ओर आम जनता पर महंगाई की मार बढ़ती जा रही है।

पिछले सोमवार को सरसों के तेल, सोयाबीन फाच्र्यून यानी रिफाइंड और पामोलीन की कीमतों में 15 रुपये टिन की वृद्धि हुई थी। उसके दूसरे दिन यानी मंगलवार को दामों में 15 से लेकर 25 रुपये की और बढ़ोतरी हुई थी। बुधवार को फिर 10-10 रुपये का इजाफा हुआ था। इससे सरसों के तेल का थोक रेट 2250 रुपये 15 किलो टिन, सोयाबीन फाच्र्यून यानी रिफाइंड का दाम 2150 रुपये 15 लीटर टिन और पॉमोलीन का मूल्य 2040 रुपये 15 किलो टिन हो गया था।

शनिवार को सरसों के तेल में 20 रुपये की वृद्धि होकर 2270 रुपये, रिफाइंड 10 रुपये चढ़कर 2160 रुपये और पॉमोलीन 20 रुपये बढ़कर 2060 रुपये टिन हो गया। इसके पहले सोमवार को सरसों का तेल 2215 रुपये, रिफाइंड 2115 और पॉमोलीन 2015, मंगलवार को क्रमश: 2240, 2140 और 2030 रुपये हो गया था।

इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि सरसों की फसल अच्छी न होने से रेट में वृद्धि होने की बात कही जा रही है। वहीं कंपनियों के मनमाने दाम बढ़ाने पर सरकार को रोक लगाना चाहिए। खाद्य तेलों का भी एक रेट निर्धारित किया जाना चाहिए कि इससे ज्यादा की वृद्धि नहीं की जा सकती है।

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