सामूहिक हत्याकांड समेत कत्ल की कई घटनाएं सालभर बाद भी पुलिस के लिए बने अबूझ पहेली Prayagraj News
अब हत्या जैसी घटनाओं के राजफाश पर भी पुलिस की पकड़ ढीली होती जा रही है। सोरांव थाना क्षेत्र के यूसुफपुर गांव में एक साल पहले पांच जनवरी को हुई सामूहिक हत्या कांड की फाइल दम तोड़ रही है। अभी तक पुलिस हत्या के कारणों में उलझी हुई है।
प्रयागराज, जेएनएन। किसी घटना के होने के बाद जितनी जल्दी पर्दाफाश होता है, उतनी ही पुलिस की साख लोगों के बीच मजबूत होती है लेकिन सोरांव सर्किल की कुछ घटनाओं के एक साल बीत जाने के बाद भी राजफाश नहीं होना, पुलिस की साख पर बट्टा लगाने जैसा है। ज्यादातर घटनाओं मे पुलिस अभी तक हत्या के कारणों की तलाश नहीं कर पाई तो हत्यारों तक कैसे पहुंचेगी। पुलिस की इस कार्यशैली से लोगों के बीच पुलिस व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है।
युसुफपुर सामूहिक हत्याकांड
पुलिस की कार्यशैली हमेशा से सवाल खड़ी करती रही है। कभी ग्रामीणों की शिकायत पर जुआरियों को नहीं पकड़ पाना तो कभी अवैध शराब की बिक्री की जानकारी देने पर भी ध्यान नहीं देना समेत कई ऐसे अनैतिक कार्य हैं, जिस पर पुलिस ध्यान नहीं देती है। अब हत्या जैसी घटनाओं के राजफाश पर भी पुलिस की पकड़ ढीली होती जा रही है। सोरांव थाना क्षेत्र के यूसुफपुर गांव में एक साल पहले पांच जनवरी को हुई सामूहिक हत्या कांड की फाइल दम तोड़ रही है। अभी तक पुलिस हत्या के कारणों में उलझी हुई है। इस हत्याकांड में एक ही परिवार के विजय शंकर तिवारी, सोनी तिवारी, सोनू तिवारी व मासूम कान्हा व कुंज की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। मामले में वादी ने जमीन के चलते हत्या की बात कहते हुए पट्टीदार को ही आरोपित बनाया था। पुलिस ने उन आरोपियों को क्लीनचिट देते हुए हत्या की वजह कुछ और बताई थी लेकिन असलियत में अभी तक पुलिस हत्या के कारणों की जांच में उलझी हुई है।
कत्ल की इन घटनाओं का अब तक नहीं हुआ पर्दाफाश
इसी प्रकार सरायदीना गांव में एक साल पूर्व सिचांई विभाग के लिपिक आशीष तिवारी की हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद से ही पुलिस हत्या के कारणों की जांच में उलझी रही और डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी अभी तक हत्यारोपी आजाद घूम रहे हैं। इसी क्रम में सरायदीना गांव में ही दो माह पूर्व हरिश्चंद्र शर्मा की हत्या भी पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है। पीडि़त जमीन के लिए हत्या की बात कह रहे थे लेकिन पुलिस ने नामजद आरोपियों को क्लीन चिट देकर बरी करते हुए हत्या के कारणों की अभी भी तलाश में जुटी हुई है। घटना के एक माह के भीतर ही उसी गांव में धर्मा देवी और उसके बेटे सुरेन्द्र की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या के कारणों में उलझी पुलिस आज तक हत्यारों तक नही पहुंच पाई। इसी प्रकार मऊआइमा पुलिस भी चार दिन बीत जाने के बाद मासूम आदर्श के हत्या के कारणों की जांच में उलझी हुई है। लगातार हो रहे अपराध और उसके खुलासे में नाकाम पुलिस की कार्यशैली पर अब सवाल उठने लगे हैं।