Prayagraj Municipal Corporation: निगम के 50 से ज्यादा ई-टेंडर में खेल, चहेतों को दिलाए गए काम

Prayagraj Municipal Corporation जांच में शामिल रहे एक अफसर का कहना है कि ई-टेंडर के लिए पांच दस्तावेज मांगे गए तो दो-तीन ही अपलोड किए गए थे। किसी में एफडी नहीं लगाई गई थी। टेंपरिंग करके आफलाइन दस्तावेज भी लगाए गए थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 02:50 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 02:50 PM (IST)
Prayagraj Municipal Corporation: निगम के 50 से ज्यादा ई-टेंडर में खेल, चहेतों को दिलाए गए काम
नगर निगम के ई-टेंडर में हेराफेरी करने का मामला सामने आया है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। यूं तो टेंडर देने में हेराफेरी न हो, इसके लिए व्यवस्था को आनलाइन किया गया है। हालांकि प्रयागराज नगर निगम के लिपिक और अफसरों ने ई-टेंडर में भी खेल कर दिया। इसकी शिकायत हुई तो जांच कराई गई। जांच में पता चला कि 15वें वित्त आयोग के 50 से ज्यादा कामों के ई-टेंडर में अनियमितता हुई है। इस मामले को दबाने के लिए संविदा के कंप्यूटर आपरेटर को तो हटा दिया गया है। हालांकि प्रधान लिपिक को बचाने की जुगत हो रही है, जबकि प्रधान लिपिक एक ही पटल पर करीब 30 साल से जमा हुआ है।

ठेकेदार ने नगर आयुक्‍त से की थी शिकायत

पिछले दिनों ठेकेदार विकास मिश्रा ने जनकार्य विभाग के ई-टेंडर में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत नगर आयुक्त से की थी। प्रधान लिपिक और कंप्यूटर आपरेटर की मिलीभगत से यह खेल किए जाने का आरोप लगाया गया था। मुख्य अभियंता को मामले की जांच सौंपी गई थी। जांच में प्रथम दृष्टया दोषी मिलने पर संविदा पर रखे गए कंप्यूटर आपरेटर को निकाल दिया गया।

नगर आयुक्‍त तक नहीं पहुंची जांच रिपोर्ट

जांच में शामिल रहे एक अफसर का कहना है कि ई-टेंडर के लिए पांच दस्तावेज मांगे गए तो दो-तीन ही अपलोड किए गए थे। किसी में एफडी नहीं लगाई गई थी। टेंपरिंग करके आफलाइन दस्तावेज भी लगाए गए थे। हालांकि रेट में विसंगति न होने और जून माह 15वें वित्त के कामों के लिए कराए गए ई-टेंडर में ही गड़बड़ी के दावे हैं। इसमें प्रधान लिपिक के शामिल न होने के भी दावे किए जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंपी नहीं गई है।

तीन सदस्यीय कमेटी गठित

भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी में सहायक अभियंता नज्मी मुजफ्फर, लिपिक मनीष सिंह और नितिन यादव शामिल हैं। कमेटी की निगरानी में ही अब ई-टेंडर खोले जाएंगे।

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