Prayagraj Magh Mela 2021: रोचक हुई खाकचौक के महात्माओं की 'लड़ाई', शह-मात का चल रहा खेल
Prayagraj Magh Mela 2021 महामंडलेश्वर संतोषदास खाकचौक के सबसे प्रभावी महात्मा हैं। इन्हीं के निर्देश पर खाकचौक के समस्त मुकामधारियों की जमीनों का वितरण होता है। हालांकि इस बार माघ मेला लगने से पहले संतोषदास की कार्यप्रणाली पर कुछ महात्माओं ने नाराजगी व्यक्त की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। माघ मेला में संतों-महात्माओं की सबसे बड़ी संस्था खाकचौक के महात्माओं की लड़ाई रोचक हो गई है। खाकचौक व्यवस्था समिति के महात्माओं में वर्चस्व की जंग जारी है। अपना रसूख दिखाने के लिए शह-मात का खेल चल रहा है। इस खेल में समिति के महामंत्री महामंडलेश्वर संतोषदास 'सतुआ बाबा' भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। समिति के संरक्षक मदनमोहन दास व सदस्य जयराम दास ने संतोषदास को समर्थन देने का निर्णय लिया है। एक-दो दिनों में अध्यक्ष सीताराम दास के खेमे के कुछ और महात्मा संतोषदास को अपना समर्थन देंगे। ऐसा होने पर संतोषदास का प्रभाव खाकचौक में बढ़ जाएगा।
संतोषदास की कार्यप्रणाली पर उठने लगा था विरोध का स्वर
महामंडलेश्वर संतोषदास खाकचौक के सबसे प्रभावी महात्मा हैं। इन्हीं के निर्देश पर खाकचौक के समस्त मुकामधारियों की जमीनों का वितरण होता है। हालांकि इस बार माघ मेला लगने से पहले संतोषदास की कार्यप्रणाली पर कुछ महात्माओं ने नाराजगी व्यक्त की थी। इससे उनके खिलाफ विरोध का स्वर उठने लगा था। समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर सीताराम दास भी संतोषदास के कुछ निर्णय के खिलाफ हो गए थे।
अध्यक्ष सीताराम दास के खिलाफ संतोषदास ने खोला मोर्चा
विवाद बढऩे पर 13 फरवरी को अध्यक्ष सीताराम दास के खिलाफ संतोषदास ने मोर्चा खोल दिया। उनकी जगह समिति के उपाध्यक्ष जन्मेजय शरण को कार्यकारी अध्यक्ष बनवाया था। फिर 14 फरवरी को समिति की सामूहिक बैठक में सीताराम को अध्यक्ष बनाए रखने का निर्णय हुआ। इसमें जयराम दास व अतुल दास की संतोषदास से तल्खी हो गई थी। वाद-विवाद बढऩे पर झूंसी थाना में संतोषदास ने दोनों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दिया था। वहीं, 15 फरवरी को सीताराम दास ने संतोषदास के खिलाफ थाना में तहरीर दी।
संतोषदास अपनी ताकत बढ़ाने के लिए महात्माओं को जोड़ रहे
इसके बाद 17 फरवरी को सीताराम दास के गुट ने बैठक बुलाकर संतोषदास को महामंत्री पद से बर्खास्त करके उनकी जिम्मेदारी महंत रामकृष्ण दास को सौंप दिया। इधर, 21 फरवरी को संतोषदास ने सीताराम दास व जन्मेजय शरण को बर्खास्त करके उनकी जगह दामोदर दास को अध्यक्ष व मारुति बाबा को उपाध्यक्ष बनाया है। इधर, सीताराम दास मेला क्षेत्र छोड़कर वृंदावन चले गए। इससे उनका गुट निष्क्रिय हो गया है। मौके का फायदा उठाकर संतोषदास अपनी ताकत बढ़ाने के लिए महात्माओं को जोड़ रहे हैं। अपनी मुहिम में वे सफल भी हो रहे हैं।