Prayagraj Magh Mela 2021: बिना लल्‍लू जी एंड संस के माघ मेला की बसावट मुश्किल है, आप भी जानें कैसे

Prayagraj Magh Mela 2021 आजादी के पहले से लल्लू जी एंड संस की फर्म मेला बसाने में काम करती आ रही है। लल्लू जी दशकों पहले राजस्थान से यहां आए थे और मेले में टेंट लगाने का काम शुरू किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है।

By Brijesh Kumar SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 10:32 AM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 10:32 AM (IST)
Prayagraj Magh Mela 2021: बिना लल्‍लू जी एंड संस के माघ मेला की बसावट मुश्किल है, आप भी जानें कैसे
लल्‍लू जी एंड संस फर्म ब्‍लैक लिस्‍टेड है। इस बार माघ मेला में फर्म के नाम से चार संस्‍थाएं हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। पैसों के विवाद को लेकर लल्लू जी एंड संस की फर्म को प्रशासन ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसके बावजूद लल्लू जी एंड संस के नाम से चार फर्म मेले में काम कर रही हैं। प्रयागराज माघ मेला 2021 बसाने में उनकी बड़ी भूमिका है। ज्यादातर मेला बसाने में इन्हीं का माल सप्लाई हो रहा है।

सैकड़ों हेक्टेयर में बसने वाले इस मेले में लाखों लोग कल्पवास करने आते हैं। उन कल्पवासियों के लिए जो अस्थाई तंबुओं का शहर बसता है, उसके लिए सामान सप्लाई लल्लू जी की ही फर्म करती है। आजादी के पहले से लल्लू जी एंड संस की फर्म मेला बसाने में काम करती आ रही है। लल्लू जी दशकों पहले राजस्थान से यहां आए थे और मेले में टेंट लगाने का काम शुरू किया था। तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है।

शुरुआत में लल्लू जी के नाम से केवल एक ही फर्म थी। बाद में उनके कई रिश्तेदार और परिवार के लोग दी प्रयागराज आ गए और यह धंधा करने लगे। इस समय लल्लू जी एंड संस की मुख्य फर्म के अलावा लल्लू जी एंड संस के नाम से आधा दर्जन से अधिक दूसरी फर्मे काम कर रही हैं। प्रयागराज में पिछले कुंभ मेले से पैसों के भुगतान को लेकर लल्लू जी एंड संस की मुख्य फर्म से प्रशासन का विवाद हो गया। मेला प्राधिकरण लल्लू जी एंड संस फार्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया। उस फर्म के ब्लैक लिस्ट होने के बाद लल्लू जी नाम से जो दूसरी फर्म चलती थी, उनमें से चार को इस बार भी टेंडर मिला।

इस बार मेला बसाने के लिए कुल छह संस्थाओं को ठेका दिया गया है। उसमें न्यू वैरायटी और पिरामिड संस्थाएं बाहर की है। इनके अलावा चार संस्थाएं लल्लू जी एंड संस गोपाल दास, लल्लू जी डेरा वाले, लल्लू जी एंड ब्रदर्स आदि है। दरअसल मेले में जितना माल सप्लाई करना होता है। उतना किसी टेंट कंपनी के पास होता नहीं है, इसलिए प्रशासन को मजबूरी में लल्लू जी एंड संस की फर्मो को ठेका देना पड़ता है।

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