प्रयागराज प्रदेश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर, तीन गुना जहरीली हुई शहर की हवा Prayagraj News
गाडिय़ों के धुएं और अंधाधुंध निर्माण से प्रयागराज की हवा में प्रदूषण तीन गुना बढ़ गया है। यही कारण है कि प्रदेश की रेटिंग में यह प्रयागराज सबसे अधिक प्रदूषित शहर बन गया है।
प्रयागराज, जेएनएन। संगम नगरी की हवा जहरीली हो गई है। यहां प्रदूषण मानक से तीन गुना बढ़ गया है। इसके पीछे डीजल युक्त गाडिय़ों से निकलने वाला धुआं तो कारण है ही, शहर में हो रहे निर्माण कार्यों से भी प्रदूषण में इजाफा हुआ है। आंकड़ों के हिसाब से प्रयागराज प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर है। गोरखपुर दूसरे स्थान पर है। मानक के अनुसार पीएम-10 का स्तर 100 माइक्रोन होना चाहिए लेकिन यहां यह 370 माइक्रोन तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अगस्त माह की रिपोर्ट के मुताबिक है। जबकि मार्च में शहर में पीएम-10 का अधिकतम स्तर 268 था।
बिना कवर किए हो रहे निर्माण कार्य
कुंभ के दौरान भी निर्माण कार्य नियमों को ताक पर रखकर कराए गए। बिना कवर किए ही सभी कार्य होते रहे हैं। जून-जुलाई तक शहर में कुंभ के और स्मार्ट सिटी के प्रथम चरण के अधूरे कामों को पूरा कराया गया। सड़क निर्माण से लेकर चौराहे का निर्माण, टेबल टॉप स्पीड ब्रेक बनवाए गए। इसके अलावा जहां पर बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है, वहां पर भी इसका बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
फाइलों में सिमटा एक्शन प्लान
प्रयागराज का नाम जब देश के प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार हुआ था तो प्रदूषण कम करने के लिए एक्शन प्लान बनाया गया। उसमें सबसे ज्यादा जोर जहर उगलने वाली गाडिय़ों पर पाबंदी लगाने पर दिया गया। इस दिशा में शुरुआत में काम तो हुआ, लेकिन बाद में अधिकारियों की सूची में यह विषय नीचे चला गया। शहर में धड़ल्ले से डीजल युक्त सवारी गाडिय़ों दौडऩे लगीं। शहर में जगह-जगह कूड़ा जलाने एवं साफ-सफाई की खराब व्यवस्था के कारण शहर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है।
पांच जगह लगे हैं प्रदूषण मापने के यंत्र
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा प्रयागराज में प्रदूषण की जांच मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान (एमएनएनआइटी) की मदद से कराई जाती है। एमएनएनआइटी ने अलोपीबाग में सीवेज पंपिंग स्टेशन, जॉनसेनगंज में कारपोरेटिव बैंक, रामबाग में पराग डेयरी, कटरा में लक्ष्मी टाकीज और अशोक नगर में भारत यंत्र निगम लिमिटेड में प्रदूषण जांचने के यंत्र लगे हुए हैं। सप्ताह में दो बार पांचों स्थानों पर प्रदूषण की जांच की जाती है। एक महीने की रिपोर्ट तैयार करके यूपीपीसीबी के झूंसी स्थित कार्यालय पर भेज दी जाती है। वहां से रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेज दी जाती है।
मार्च से लेकर अगस्त तक पीएम-10 का अधिकतम स्तर
माह पीएम-10 स्थान
मार्च 268.02 जॉनसेनगंज
अप्रैल 274.57 अलोपीबाग
मई 283.15 अलोपीबाग
जून 305.44 अलोपीबाग
जुलाई 219.00 लक्ष्मी टाकीज
अगस्त 370.00 लक्ष्मी टाकीज
बोले एमएनएनआइटी में सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष
एमएनएनआइटी में सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी वैश्य कहते हैं कि अगस्त माह में प्रदूषण का स्तर अचानक इसलिए बढ़ गया, क्योंकि बारिश रुक-रुक कर हुई। इससे सड़क किनारे की धूल वायुमंडल में फैल गई। चौराहे पर जाम लगने और गाडिय़ों के आवागमन के बढऩे के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। प्रदूषण नियत्रंण पर जोर देने की जरूरत है।
डेढ़ गुना बढ़ी मरीजों की संख्या
प्रदूषण बढऩे पर लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। फेफड़े और दिल के मरीजों में भी वृद्धि हुई है। स्वरूप रानी नेहरू अस्तपाल के हदय रोग विशेषज्ञ पीयूष सक्सेना का कहना है कि शहर में पिछले सात महीने में मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना की बढ़ोतरी हुई है। काल्विन अस्तपाल के फिजिशियन डॉ. संजीव यादव का कहना है कि अब जैसे-जैसे मौसम में बदलाव होगा, वैसे-वैसे सांस से संबंधित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ जाएगी।
यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा
यूपीपीसीबी प्रयागराज के क्षेत्रीय अधिकारी जेबी सिंह ने कहा कि शहर में चल रही डीजल युक्त सवारी गाडिय़ों और बिना ढके हो रहे निर्माण कार्यों से शहर में मार्च के बाद लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। अगस्त माह में पीएम-10 का अधिकतम स्तर 370 पहुंच गया था, जो चिंता का विषय है। प्रदूषण का स्तर घटाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है।