Prayagraj Hospitals: एसआरएन में MRI और डिजिटल एक्सरे की फिल्म खत्म, मरीजों को थमा रहे सीडी

एसआरएन के केंद्र में प्रत्येक दिन औसत 10-12 एमआरआइ हो पा रही है। कई लोग तो चिकित्सक द्वारा पर्चे पर लिखे जाते ही मजबूरी में निजी संस्थानों का रुख कर लेते हैं। बाकी जिन 10-12 लोगों की एमआरआइ हो रही है उन्हें रिपोर्ट सीडी में दी जा रही है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 01:23 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 01:23 PM (IST)
Prayagraj Hospitals: एसआरएन में MRI और डिजिटल एक्सरे की फिल्म खत्म, मरीजों को थमा रहे सीडी
यहां अव्यवस्था से मजबूरी में मरीजों को निजी लैब में खर्च करने पड़ रहे हजारों रुपये

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। योगी राज में अस्पतालों की सुविधाएं बढ़ाने पर जोर है जबकि धरातल पर व्यवस्थाएं ठन-ठन गोपाल हैं। कहीं और नहीं, बल्कि मंडल के सबसे अधिक सुविधाजनक अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में स्थितियां सरकारी मंशा को मुंह चिढ़ा रही हैं। यहां करीब दो माह से एमआरआइ कराने वालों को इमेज फिल्म नहीं मिल पा रही है। डिजिटल एक्सरे की हालत भी कमोवेश यही है। रिपोर्ट हार्ड कापी के अलावा सीडी में अपलोड करके दी जा रही है। इससे मरीज, तीमारदार व उसके चिकित्सक के सामने तमाम तरह की परेशानी आती है।

ओपीडी में मरीज कैसे दिखाए रिपोर्ट

एमआरआइ या डिजिटल एक्सरे की इमेज फिल्म मिलती है तो मरीज या तीमारदार उसे लेकर ओपीडी में चिकित्सक को दिखाने के लिए जाते हैं। फिल्म एक नजर में देखते ही चिकित्सक समझ जाते हैं कि शरीर के अंदरूनी हिस्से में क्या समस्या है जिससे बीमारी ठीक नहीं हो रही है। वार्ड में भर्ती मरीज के बेड के पास भी यह फिल्म अन्य चिकित्सा जांच रिपोर्ट के साथ उपलब्ध रहती है तो राउंड पर आए चिकित्सक को मरीज की बीमारी का स्टेटस (अद्यतन स्थिति) जानने में ज्यादा समय नहीं लगता। यही रिपोर्ट सीडी में मिलने से जांच पड़ताल की अविध लंबी हो रही है।

यह अपना रहे प्रक्रिया

सीडी में एमआरआइ रिपोर्ट मरीज या तीमारदार से मिलने पर वरिष्ठ चिकित्सक उसे जूनियर डाक्टर को देते हैं। जूनियर डाक्टर उसे लैपटाप के जरिए अपने मोबाइल फोन में अपलोड करते हैं। फिर वह रिपोर्ट संबंधित चिकित्सक को फारवर्ड की जाती है। इस प्रक्रिया में एक सप्ताह भी लग जाते है क्योंकि चिकित्सक मरीज से अगले सप्ताह होने वाली ओपीडी में आने के लिए कहते हैं। जबकि यही रिपोर्ट इमेज फिल्म में उपलब्ध रहे तो एक मिनट से भी कम समय में बीमारी पकड़ में आ सकती है।

गैरकानूनी कृत्यों का अंदेशा

एसआरएन में इमेज फिल्म न मिलने के पीछे लोग गैरकानूनी कृत्यों का अंदेशा जता रहे हैं। कारण है कि एसआरएन में एमआरआइ कराने का सरकारी शुल्क 2000 रुपये है जबकि निजी लैब में यह जांच सात से नौ हजार रुपये में हो रही है। अंदेशा है कि निजी लैब संचालकों से साठगांठ करके उच्चाधिकारी अपना ही उल्लू सीधा कर रहे हैं और जरूरतमंद लोगों को फिल्म उपलब्ध न होने या सप्लाई न होने का बहाना बनाकर टरकाया जा रहा है।

रोज हो रही औसत 12 एमआरआइ

एसआरएन के केंद्र में प्रत्येक दिन औसत 10-12 एमआरआइ हो पा रही है। कई लोग तो चिकित्सक द्वारा पर्चे पर लिखे जाते ही मजबूरी में निजी संस्थानों का रुख कर लेते हैं। बाकी जिन 10-12 लोगों की एमआरआइ हो रही है उन्हें रिपोर्ट सीडी में दी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि ओपीडी में कई चिकित्सक ही मरीज या तीमारदार को सलाह देते हैं कि यहां फिल्म नहीं मिल रही है बाहर से इसे करा लें।

भेज रहे मांग पत्र, नहीं मिल रही फिल्म

प्रिंसिपल कार्यालय को कई बार इमेज फिल्म का मांग पत्र भेज चुके हैं। खरीद वहीं से होती है। यह बात सही है कि एमआरआइ व डिजिटल एक्सरे की इमेज फिल्म खत्म है और रिपोर्ट सीडी में दी जा रही है। इससे मरीज व डाक्टर के सामने रिपोर्ट फौरन देखने में समस्या होना लाजमी है। दिक्कतें कोविड-19 के चलते भी हो रही हैं।

डा. अजय सक्सेना, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक

chat bot
आपका साथी