अंग्रेज शासन में संयुक्त प्रांत की राजधानी रहा है प्रयागराज, उत्तर प्रदेश नाम रखने पर खुश हुए थे शहरी

संयुक्त प्रांत में प्रयागराज की काफी अहमियत रही थी। दो नवंबर 1921 तक इलाहाबाद (अब प्रयागराज) इस प्रांत की राजधानी भी रही थी। इसके बाद संयुक्त प्रांत की राजधानी लखनऊ स्थानांतरित हो गई। हालांकि राजधानी का रुतबा हटने के बावजूूद प्रयागराज न्यायिक राजधानी बनी रही।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 01:00 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 01:00 PM (IST)
अंग्रेज शासन में संयुक्त प्रांत की राजधानी रहा है प्रयागराज, उत्तर प्रदेश नाम रखने पर खुश हुए थे शहरी
उत्तर प्रदेश नामकरण होने के दिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रोंं और अध्यापकों ने खुशी जाहिर की थी।

प्रयागराज,जेएनएन। संयुक्त प्रांत में प्रयागराज की काफी अहमियत रही थी। दो नवंबर 1921 तक इलाहाबाद (अब प्रयागराज) इस प्रांत की राजधानी भी रही थी। इसके बाद संयुक्त प्रांत की राजधानी लखनऊ स्थानांतरित हो गई। हालांकि राजधानी का रुतबा हटने के बावजूूद प्रयागराज न्यायिक राजधानी बनी रही। 24 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश होने पर भी प्रयागराज के कद में बदलाव नहीं हुआ। उस समय प्रयागराज के कई नेता केंद्र में मंत्री थे और प्रदेश की राजनीति में भी यहां के लोगों का दबदबा था। उत्तर प्रदेश नामकरण होने के दिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रोंं और अध्यापकों ने खुशी जाहिर की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अलावा आजाद पार्क में लोगो ने बैठक करके नाम परिवर्तन को लेकर चर्चा की थी।

प्रयागराज बनी रही न्यायिक राजधानी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो.योगेश्वर तिवारी बताते हैं 24 जनवरी 1950 को संविधान के दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुए थे और 26 जनवरी को यह अस्तित्व में आया था। जिस दिन देश के संविधान पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हो रहे थे उसी दौरान संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश हो रहा था। ऐसे में जाहिर सी बात है कि देशवासियों में प्रसन्नता थी। नया प्रदेश नए कलेवर के साथ सामने आ रहा था। नया नाम होने के बावजूद प्रयागराज के वजूद में कोई कमी नहीं आई थी। वे बताते हैं कि प्रयागराज से 1921 में राजधानी का दर्जा छिना था। पर इलाहाबाद हाईकोर्ट वैसे ही यहां रहा। लखनऊ राजधानी बनने के बावजूद और प्रदेश का नया नाम होने के बाद प्रयागराज न्यायिक राजधानी बना रहा। प्रो.तिवारी बताते हैं कि पुराने शिक्षकों ने उस दौर का अनुभव अपने शिक्षण के समय हम लोगों से शेयर किया था। नया संविधान और नया प्रदेश की घोषणा के प्रयागराज में उत्साह का माहौल था। अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम हट रहा था। नया नाम उत्तर प्रदेश हो रहा था इसको लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन और सीनेट हाल में छात्रों एवं अध्यापकों ने बैठक करके अपने विचार रखे थे। सरकार के निर्णय की सराहना की थी और इसे दूरदर्शी कदम बताया था। आजाद पार्क में भी इसको लेकर तब के नेताओं की बैठक हुई थी।

लार्ड कैनिंग ने प्रयागराज को दिया था रुतबा

इतिहासकार डा.राजेश मिश्र बताते हैं कि 1834 तक उत्तर प्रदेश बंगाल प्रेसीडेंसी के अधीन था। उस समय बंगाल, बॉम्बे और मद्रास तीन प्रेसीडेंसी हुआ करती थीं। इसके बाद चौथी प्रेसीडेंसी आगरा बनी जिसके अधीन आने वाले जिले संयुक्त प्रांत यानी उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आए। 1858 में लॉर्ड कैनिंग इलाहाबाद आ गए थे। कैनिंग ने उत्तरी पश्चिमी प्रांत का गठन किया था। तब आगरा से सत्ता की कुर्सी इलाहाबाद आ गई थी। तभी 1868 में उच्च न्यायालय आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हुआ था। लार्ड कैनिंग ने ही तब प्रयागराज को यह रुतबा दिया था। वे बताते हैं कि जिस समय संयुक्त प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश हो रहा था उस समय संविधान सभा में प्रयागराज के जवाहर लाल नेहरू, गोविंद मालवीय, फिरोज गांधी समेत कई प्रभावशाली लोग थे। ऐसे में भी प्रयागराज का कद बना रहा।

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