Court News: काला हिरण और मोर पालने में सदाफल आश्रम के प्रमुख समेत चार लोग आरोपित

अदालत ने कहा कि वादी मुकदमा इंद्रकांत ने अपने बयान में महर्षि सदाफल आश्रम में वन्य जीव दो काला हिरण एक चीतल दो मोर पाले जाने का कथन किया तथा स्वतंत्र देव महाराज विज्ञान देव महाराज ज्ञान देव महाराज को आश्रम का मालिक बताया है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 09:26 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 09:26 PM (IST)
Court News: काला हिरण और मोर पालने में सदाफल आश्रम के प्रमुख समेत चार लोग आरोपित
अदालत ने जारी किया सम्मन, सुनवाई नौ दिसंबर को, वन विभाग ने 2006 में दर्ज कराई थी एफआइआर

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। काला हिरण और मोर पालने के मामले में अदालत ने झूंसी स्थित सदाफल आश्रम के प्रमुख स्वतंत्र देव महाराज, विज्ञान देव महाराज, ज्ञानदेव महाराज व विजय बहादुर सिंह को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत आरोपित माना है। सभी को सम्मन जारी किया गया है। मामले की सुनवाई नौ दिसंबर को होगी। वन विभाग के वनरक्षक इंद्रकांत ने वर्ष 2006 में यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

गवाह का कथन रहा मुकदमे में अहम

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश यादव ने वन विभाग के अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्र के द्वारा प्रस्तुत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद संत समेत अन्य को आरोपित माना। अदालत ने कहा कि वादी मुकदमा  इंद्रकांत ने अपने बयान में महर्षि सदाफल आश्रम में वन्य जीव दो काला हिरण, एक चीतल, दो मोर पाले जाने का कथन किया तथा स्वतंत्र देव महाराज, विज्ञान देव महाराज, ज्ञान देव महाराज को आश्रम का मालिक बताया है। इंद्रकांत ने बताया कि इनके द्वारा कोई भी लिखित सूचना वन विभाग को नहीं दी गई। आश्रम की देखभाल विजय बहादुर सिंह करता है।

अपराध में सहयोगी को इस मुकदमे का गवाह बना दिया

वन विभाग के प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि एक मई 2006 को महर्षि सदाफल देव आश्रम छतनाग झूंसी में अवैध रूप से हिरण एवं मोर पाले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। वन विभाग के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि कि स्वतंत्र देव, विज्ञान देव आश्रम का संचालन करते हैं। इनकी अनुपस्थिति में संचालन व देखभाल विजय बहादुर सिंह, केशव सिंह, वीरपाल सिंह, भंवर लाल व मोहन प्रसाद करते हैं। इस मुकदमे में गवाह भी है। यह लोग अवैध रूप से मोर, काले हिरन पाले जाने के अपराधी हैं। मोर और हिरण पाले जाने की सूचना वन विभाग को न तो लिखित रूप से दी गई और न मौखिक। पुलिस ने जानबूझकर आश्रम के स्वामी का पक्ष ले लिया है। वन्य जीव को अवैध रूप से रखने के अपराध में सहयोगी को इस मुकदमे का गवाह बना दिया है जिससे आरोपित को लाभ मिल सके।

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