अस्पताल के खराब सीसीटीवी कैमरों ने किया था साजिश का इशारा

जीवन ज्योति अस्पताल बड़ा मगर भीतर के रास्ते भुलभुलैया। भूतल से लेकर ऊपरी मंजिल तक सुरक्षा की लिहाज से

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 04:56 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 04:56 AM (IST)
अस्पताल के खराब सीसीटीवी कैमरों ने किया था साजिश का इशारा
अस्पताल के खराब सीसीटीवी कैमरों ने किया था साजिश का इशारा

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : जीवन ज्योति अस्पताल बड़ा मगर भीतर के रास्ते भुलभुलैया। भूतल से लेकर ऊपरी मंजिल तक सुरक्षा की लिहाज से 80 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे थे। हत्याकांड से चंद रोज पहले अस्पताल के प्रमुख स्थान पर लगे 14 सीसीटीवी अचानक खराब हो गए। पुलिस ने इसकी पड़ताल शुरू की तो पता चला कि डॉ. बंसल के चेंबर, एंट्री प्वाइंट और पीछे की तरफ वाले रास्ते में लगे सीसीटीवी भी बंद हैं जिसकी जानकारी भी डॉ. बंसल को नहीं दी गई थी।

चौंकाने वाली बात यह भी थी कि शूटर उसी रास्ते से दाखिल हुए और भागे, जिधर के सीसीटीवी कैमरे खराब थे। इस बारे में शूटरों को जानकारी कैसे हुई थी? इसका पता नहीं चल सका था। मगर पुलिस व एसटीएफ ने प्राथमिक जांच में माना था कि अचानक कैमरों का खराब होना सुनियोजित हत्याकांड का पार्ट हो सकता है। अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों की सुरक्षा में लापरवाही साजिश का इशारा कर रही हैं। इसी अधार पर कैमरों की जिम्मेदारी संभालने वाले निजी ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध मानते हुए पूछताछ की गई थी। इतना ही नहीं, प्रबंधन से जुड़े एक खास कर्मचारी ने हत्या से करीब एक सप्ताह पहले अस्पताल में पांच युवकों को नौकरी दिलवाई थी। घटना के दिन वह खास कर्मचारी शूटर से आगे-आगे अस्पताल में दाखिल हुआ था। तीन नए कर्मचारी भी उस दिन ड्यूटी पर नहीं थे। इस तरह के कई और भी सुराग मिले थे, जिसके आधार पर पुलिस कातिलों और साजिश वालों तक पहुंचने में नाकाम रही। खास कर्मचारी की भूमिका पर सवाल उठने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस के सामने उसे निर्दोष बताया था। एबीसी की गुत्थी ने उलझाया

अस्पताल प्रशासन की ओर से पाíकंग व्यवस्था को ए, बी, सी सेक्टर में बांटा गया था। ए सेक्टर में सिर्फ डॉ बंसल, वंदना और कुछ खास बड़े और नामचीन डॉक्टरों के वाहनों के अलावा एंबुलेंस खड़ी होती थी। इस पाíकंग में कोई भी वाहन नहीं पार्क हो सकता था। बी सेक्टर में अस्तपाल के दूसरे डॉक्टर, मरीज एवं उनके साथ आने वाले तीमारदारों के चार पहिया वाहन खड़े होते थे। सी सेक्टर में दो पहिया वाहन खड़े होते थे। वाहनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां तैनात गार्डो के हवाले थी। हत्याकांड वाले दिन सेक्टर ए में झूंसी के सुनील यादव तथा बी सेक्टर में नैनी के आरके मिश्र की तैनाती थी। सी सेक्टर में नैनी के दीपक को लगाया गया था। अस्पताल के मेन गेट पर सिक्योरिटी एजेंसी के सुपरवाइजर उमेश चंद्र शुक्ल अन्य सुरक्षा गार्डो के साथ तैनात थे। डॉ. बंसल के चेंबर के बाहर नीरज नाथ मिश्र थे, लेकिन उनकी ड्यूटी में कुछ बदलाव किया गया था, जिसको लेकर पुलिस उलझी रही। अस्पताल से भागा था शूटर राजा

करछना निवासी शूटर राजा पांडेय का डॉ. बंसल ने अपने अस्पताल में इलाज किया था। वह कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती था और इस दौरान कुछ कर्मचारियों से झगड़ा हुआ। इसके बाद डॉ. बंसल से पैसे को लेकर विवाद हुआ तो वह अस्पताल से भाग गया। पुलिस ने राजा पांडेय की तलाश शुरू की तो पता चला कि वह कानपुर के एक अस्पताल में इलाज करवा रहा है। पुलिस के वहां पहुंचने पर वह अस्पताल से भाग निकला और पूछताछ नहीं हो सकी।

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