Magh Mela 2021 : पुण्य भूमि में अध्यात्म और अन्न क्षेत्र का संगम, दिया जाता है दक्षिणा भी

सुबह का नाश्ता हर दिन अलग-अलग है। दूध चाय ब्रेड ब्रेड पकौड़ा बिस्किट जलेबी मठरी तिल के लड्डू दिए जाते हैैं। शाम के नाश्ते में दूध के साथ एक मिठाई समोसा मिलता है। भोजन में दाल सब्जी रोटी चावल अचार मीठा और फलाहार भी रहता है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 08:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 08:00 AM (IST)
Magh Mela 2021 : पुण्य भूमि में अध्यात्म और अन्न क्षेत्र का संगम, दिया जाता है दक्षिणा भी
इस बार भी माघ मेले में देश भर से संत-महात्मा और धार्मिक संस्थाएं यहां डेरा जमाए हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। धर्म, अध्यात्म और दान के लिए विख्यात है संगमनगरी । इस बार भी माघ मेले में देश भर से संत-महात्मा और धार्मिक संस्थाएं यहां डेरा जमाए हैं। धार्मिक संस्थाओं की तरफ से अन्न क्षेत्र का संचालन किया जा रहा है। इसमें सुबह-शाम नाश्ता, दोपहर और रात में भोजन की व्यवस्था है। मकर संक्रांति से भंडारा रौनक हो चले हैैं। इसमें हर वर्ग के लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं, बिना किसी भेदभाव। 

धार्मिक संस्थाएं लोगों को करा रहीं नाश्ता और भोजन

सेक्टर दो स्थित ओम वाहि गुरु ऋषि आश्रम के शिविर में मकर संक्रांति से भंडारा शुरू हुआ है। यहां आने वाले हर व्यक्ति को सुबह सात और शाम चार बजे नाश्ता मिलता है। सुबह 11 बजे और शाम छह बजे से दिन और रात का भोजन शुरू हो जाता है। नाश्ते, भोजन का सिलसिला तब तक चलता है, जब तक लोग आते हैैं। भोजन के बाद प्रतिदिन महात्माओं एवं अन्य लोगों को 20 रुपये का नोट का भी बतौर दक्षिणा दिया जाता है। मकर संक्रांति पर दोगुनी दक्षिणा दी गई। मौनी अमावस्या पर यह दक्षिणा 100 रुपये होगी। संत श्रीहरवंश साहिब जी के सानिध्य में माघी पूर्णिमा तक इस अन्न क्षेत्र का संचालन होगा। 

यह मिलता नाश्ते और भोजन में 

सुबह का नाश्ता हर दिन अलग-अलग है। दूध, चाय, ब्रेड, ब्रेड पकौड़ा, बिस्किट, जलेबी, मठरी, तिल के लड्डू दिए जाते हैैं। शाम के नाश्ते में दूध के साथ एक मिठाई, समोसा मिलता है। भोजन में दाल, सब्जी, रोटी, चावल, अचार, मीठा और फलाहार भी रहता है। शिविर के बाहर यह भी लिख दिया गया है कि किसी तरह का धन, दान, चढ़ावा नहीं लिया जाता। 

स्वेटर, साड़ी, कंबल का भी वितरण

इस शिविर में नियमित तौर पर कंबल, स्वेटर, साड़ी, कमंडल, बर्तन आदि का भी वितरण किया जाता है। अन्न क्षेत्र संचालन के अलावा मेले में जगह जगह सूखे राशन की भी सेवा होती है। करीब 30-32 साल से इस अन्न क्षेत्र का संचालन होता आ रहा है।

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