सूरत से आया फोन, हलो... का हो...प्रधानी की सिटिया जनरल है या आरक्षित, जानिए गांवों में कैसी रही हलचल
जिलों में बुधवार तीन मार्च को पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची दोपहर बाद जारी हो गई। प्रयागराज में भी दिन में आरक्षण सूची जारी हुई। आरक्षण सूची जारी होने पर गांवों में हलचल शुरू हो गई। चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों के साथ गांव वाले भी बेचैन रहे।
प्रयागराज, जेएनएन।...बाबू देखा सूरत से भईया का फोन आवत बा। सुबह से कई बार फोन कर चुकां हैं...। पूछत हैं कि प्रधानी की सिटिया जनरल भई की नाहीं...। हंडिया के एक गांव निवासी राकेश मिश्र इस बार ग्राम प्रधान चुनाव के लिए काफी दिनों से तैयारी कर रहे हैं। उनके परिवार के लोग सूरत में काम करते हैं। उन्हें गांव की प्रधानी एवं बीडीसी की सीट को लेकर उत्सुकता है। पिछले कई दिनों से गांव से बाहर कमाने गए लोग फोन करके इस बात की जानकारी ले रहे हैं कि पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण सूची जारी हुई कि नहीं। पंचायत चुनाव अप्रैल माह में होना है।
दिन भर गांवों में सीटों के आरक्षण को लेकर रही उत्सुकता
जिलों में बुधवार तीन मार्च को पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची दोपहर बाद जारी हो गई। प्रयागराज में भी दिन में आरक्षण सूची जारी हुई। आरक्षण सूची जारी होने पर गांवों में हलचल शुरू हो गई। चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों के साथ गांव वाले यह जानने के लिए बेचैन रहे कि उनकी सीट का क्या हाल है। प्रधानी के साथ बीडीसी के आरक्षण के लिए ब्लाक कार्यालय पर लोगों की आवाजाही बनी रही। ब्लाक में तमाम प्रत्याशी मनमुताबिक सीट नहीं होने पर अपना आक्रोश व्यक्त करते रहे। एक प्रत्याशी रमेश चंद पाण्डेय ने आरोप लगाया कि आरक्षण में मनमानी की गई है। हालांकि दूसरे विकास पटेल ने कहा कि आरक्षण बेहतर तरीके से किया गया है।
महिला प्रत्याशी रहीं सक्रिय
गांवों में आरक्षण का हाल जानने के लिए महिला प्रत्याशी भी सक्रिय रहीं। उनके परिजन ब्लाक में यह जानने के लिए पहुंच रहे कि महिला आरक्षण में सीट का कोटा किस वर्ग को गया है। कई गांव ऐसे थे जहां पिछली बार जनरल सीट थीं। इस बार यह गांव महिला आरक्षित हो गया। ऐसे में निवर्तमान प्रधान अब अपनी पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में लग गए। वैसे कुछ प्रत्याशियों ने आरक्षण को लेकर आपत्ति भी दर्ज करने का मन बनाया है। इसके लिए कवायद शुरू कर दी है। जिला पंचायतराज अधिकारी के कार्यालय पर आरक्षण सूची जारी होने के बाद लोगों ने अपनी आपत्ति दर्ज करानी शुरू कर दी है।
शुरू हो गया दांवपेंच
आरक्षण सूची जारी होने के बाद गांवों में राजनीतिक अखाड़ेबाजी शुरू हो गई है। दावं पेंच का दौर भी चालू हो गया। कौन प्रत्याशी हो सकता है और कौन जीत सकता है इसका आकलन भी शुरू हो गया। राजनीतिक अखाड़ेबाज हर्षमणि त्रिपाठी बताते हैं कि गवंई राजनीति इस समय चरम पर है। गांव में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। आपसी वैमनस्य भी खुलकर सामने आ गया है।