संगीत के शास्त्रात्मक व क्रियात्मक पक्ष पर समान रूप से दें ध्यान

बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक के लिए जरूरी है कि विद्यार्थी शास्त्रात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष को समान महत्व दें। दोनों खंड से बराबर अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। यह कहना है जीजीआइसी कटरा की शिक्षक डा. सीमा चौधरी का।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 06:37 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 06:37 PM (IST)
संगीत के शास्त्रात्मक व क्रियात्मक पक्ष पर समान रूप से दें ध्यान
संगीत के शास्त्रात्मक व क्रियात्मक पक्ष पर समान रूप से दें ध्यान

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक के लिए जरूरी है कि विद्यार्थी शास्त्रात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष को समान महत्व दें। दोनों खंड से बराबर अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। यह कहना है जीजीआइसी कटरा की शिक्षक डा. सीमा चौधरी का।

आगे बताया कि संगीत वादन के शास्त्र पक्ष में अपने वाद्य (तबला या सितार) का सचित्र वर्णन तथा भारतीय वाद्यों के वर्गीकरण एवं उसके अंतर्गत अपने वाद्य का जन्म एवं उसका विकास महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पूर्व विद्यार्थियों को अपने पाठ्यक्रम को भली प्रकार समझ लेना चाहिए। संगीत प्रयोगात्मक विषय है। इसे दो खंडों में विभाजित किया गया है। दोनों खंड समान महत्व के होते हैं। किसी को कमतर नहीं आंकना चाहिए। विद्यार्थियों को इसे जरूर पढ़ना चाहिए। गुरु मंत्र

- अपने वाद्यों (तबला या सितार) के वर्णो का ज्ञान, अपने वाद्य को मिलाने की विधि विद्यार्थियों को जरूर आनी चाहिए।

- अपने वाद्य के घराने एवं वादन शैली का अध्ययन भी जरूरी है। अच्छे अंक के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

- विद्यार्थियों को कुछ परिभाषाएं जरूर आनी चाहिए। इनमें बोल, ठेका, ताल, मात्रा, आवृत्ति प्रकार शामिल हैं।

- ताल के संबंध में कायदा, पलटा, रेला, तिहाई, टुकड़ा, परन, उठान, पेशकार, सम, ताली-खाली, साध संगत की जानकारी जरूरी है।

- स्वर के संबंध में आरोह, अवरोह, थाट, राग, पकड़, मीड़, कण, खटका, मुर्की, मसीतखानी गत, रजाखानी गज का भी अध्ययन जरूरी है। इसे भी जरूर पढ़ लें

-विद्यार्थियों को कुछ संगीतज्ञों व संगीत शास्त्रियों की जीवनी का भी अध्ययन करना चाहिए। इनमें प्रमुख रूप से पं. विष्णु नारायण भातखंडे, पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर, तानसेन, अमीर खुसरो, कंडे महाराज, किशन महाराज, सामता प्रसाद मिश्र, पं. रविशंकर शामिल हैं। क्रियात्मक खंड के महत्वपूर्ण बिंदु

- विद्यार्थियों को ताल/राग का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

- तीन ताल, झप ताल, एक ताल, चार ताल, कहरवा ताल, दादरा ताल, सूलताल, दीपचंदी ताल का विशेष महत्व है।

- तालों का परिचय एवं लयकारी लिखने का भी अभ्यास जरूरी है।

- कुछ विस्तृत तालों में कायदा, पेशकार, टुकड़े, परन आदि लिखने का भी अभ्यास करें। निबंध लिखने का अभ्यास जरूरी

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