फूलपुर से पंडित जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन एक साथ पहुंचे थे संसद, एक ही पार्टी से दोनों लड़े थे चुनाव

देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलपुर से तीन बार सांसद रहे। ऐसा ही कहा और जाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पहली मर्तबा जब वे चुनाव लड़े तो उनकी लोकसभा सीट का नाम फूलपुर नहीं था।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 09:00 AM (IST)
फूलपुर से पंडित जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन एक साथ पहुंचे थे संसद, एक ही पार्टी से दोनों लड़े थे चुनाव
1951-52 के लोक सभा के चुनाव के दस्तावेजों में कहीं भी फूलपुर सीट का नाम नहीं है।

प्रयागराज, जेएनएन। देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलपुर से तीन बार सांसद रहे। ऐसा ही कहा और जाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पहली मर्तबा जब वे चुनाव लड़े तो उनकी लोकसभा सीट का नाम फूलपुर नहीं था। यह भी कि देश के पहले और दूसरे चुनाव में इस लोकसभा सीट से दो सांसद चुने गए थे जिनमें एक तो खुद पंडित नेहरू थे और दूसरे मसुरियादीन थे। दोनों ही कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े थे और जीतकर एक साथ संसद पहुंचे थे।

1951-52 में फूलपुर लोकसभा सीट का नाम था कुछ और
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे अधिवक्ता विनोदचंद दुबे के अनुसार 1951-52 के लोक सभा के चुनाव के दस्तावेजों में कहीं भी फूलपुर सीट का नाम नहीं है। पंडित जवाहर लाल नेहरू जिस सीट से चुनाव लड़े थे वह तब इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट) कम जौनपुर डिस्ट्रिक्ट (वेस्ट) के नाम से थी। इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे मसुरियादीन भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़े थे। उस समय कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी थी।

86 सीटों पर हर पार्टी को दो या तीन प्रत्याशी लड़ाने का था हक  
विनोद दुबे कहते हैं कि दरअसल देश का पहला चुनाव बहुत सलीके से नहीं हुआ था। देश में प्रशासनिक ढांचा उस समय तक ठीक से खड़ा नहीं हो पाया था। ऐसे में अंग्रेजों द्वारा छोड़े गए ढांचे पर ही काम चलाया जा रहा था। चुनाव आयोग को मतदाता और जन प्रतिनिधि के बीच के अनुपात में संतुलन बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। उस समय लोकसभा की कुल 489 सीटें थीं किंतु चुनाव 401 सीट पर ही हुआ था। देश में कुल 86 सीटें ऐसी थीं जहां पर एक ही सीट से दो सांसद चुनकर जाने थे। एक सीट तो ऐसी थी जहां से तीन सांसदों को चुना जाना था। दो सांसदों वाली सीट पर हर पार्टी के दो प्रत्याशी व तीन सांसदों वाली सीट पर हर पार्टी को तीन प्रत्याशी लड़ाने का हक था।

पंडित नेहरू प्रथम और मसुरियादीन थे चुनाव में दूसरे नंबर पर
इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट) कम जौनपुर डिस्ट्रिक्ट (वेस्ट) भी ऐसी ही सीट थी जहां से एक ही सीट से दो सांसदों को चुना जाना था। 10 फरवरी सन् 1952 को घोषित किए गए चुनाव नतीजों के अनुसार जवाहर लाल नेहरू पहले स्थान पर रहे थे और उन्हीं की पार्टी के मसुरियादीन दूसरे स्थान पर रहे थे। ऐसे में दोनों ही लोग सांसद बने।

1960 में बंद हुई एक सीट पर एक से ज्यादा प्रतिनिधि की व्यवस्था
लोकसभा के 1957 के चुनाव में इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट) कम जौनपुर डिस्ट्रिक्ट (वेस्ट) सीट का नाम बदलकर फूलपुर कर दिया गया था। इस चुनाव में भी पंडित नेहरू कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पहले स्थान पर थे और मसूरियादीन दूसरे स्थान पर, दोनों ही चुनकर संसद गए। 1960 में चुनाव आयोग ने एक सीट पर एक से ज्यादा प्रतिनिधि वाली व्यवस्था को समाप्त कर दिया जिसके चलते मसुरियादीन को पंडित नेहरू के लिए फूलपुर की सीट छोडऩी पड़ी थी।

chat bot
आपका साथी