व्यापारियों की मुश्किल, अभी तक अप्रत्यक्ष कर जमा करते थे अब प्रत्यक्ष कर का भी बोझ, प्रयागराज में विरोध का स्वर
सरकार में आयकर नियम की धारा 206 सी में भी संशोधन किया है। इस संशोधन के माध्यम से पिछले वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ से ऊपर का कारोबार करने वाले व्यापारी से जिसने 1 अक्टूबर से 50 लाख रुपये से ज्यादा का माल बेचा है उससे अतिरिक्त आयकर वसूलया जाएगा।
प्रयागराज, जेएनएन। हाल ही में बनीं कुछ सरकारी नीतियों को लेकर व्यापारियों में काफी आक्रोश है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड कानून में संशोधन के कारण किसी भी स्कूल कॉलेज अथवा शैक्षिक संस्थान के 50 मीटर के दायरे में कोई दुकानें नहीं लग सकेंगी। इससे बिस्किट चॉकलेट, नमक, मट्ठा आदि बेचने वाले छोटे दुकानदारों पर काफी असर पड़ेगा। व्यापारी अब तक सरकार के लिए अप्रत्यक्ष कर जमा करता था लेकिन अब टीडीएस अथवा टीसीएस के जरिए प्रत्यक्ष कर की जवाबदेही तय कर दिए जाने से उनकी मुश्किल और बढ़ती जा रही हैं। इन्हीं सब मुद्दों के विरोध में व्यापारी आंदोलन की तैयारी में हैं।
प्रत्यक्ष कर की जवाबदेही तय
सरकार में आयकर नियम की धारा 206 सी में भी संशोधन किया है। इस संशोधन के माध्यम से पिछले वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ से ऊपर का कारोबार करने वाले व्यापारी से जिसने 1 अक्टूबर से 50 लाख रुपये से ज्यादा का माल बेचा है, उससे अतिरिक्त आयकर वसूल किया जाएगा। वहीं प्रत्यक्ष कर की जवाबदेही तय होने से व्यापारियों को पहले पैसा सरकारी खाते में जमा कराना होगा और फिर उसका विवरण रिटर्न में भरना होगा। जिस व्यापारी ने माल खरीदते समय टीडीएस दिया है, अगर टीडीएस संग्रह करता सरकारी खजाने में रकम नहीं जमा कराएगा तो एक नया झमेला होगा। व्यापारियों का आरोप है कि सरकारी इज ऑफ डूइंग से हटकर किसी न किसी तरीके से व्यापारियों को परेशान करने के लिए आदेश जारी करती रहती है।
बोले, कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि कृषि उपज से संबंधित 3 विधेयक सरकार ने पारित किए हैं। इन विधायकों के तहत मंडियों में व्यापार करने वाले व्यापारियों को राज्य के एपीएमसी कानून का पालन करना है और जो बाहर व्यापार कर रहे हैं उन्हें पूरी छूट मिल जाएगी। ऐसी दशा में मंडी में व्यापारियों के ऊपर मंडी सेस बढ़ेगा। इससे मंडियों में माल आना कम हो जाएगा। उनका कहना है कि इन्हीं तमाम मुद्दों को लेकर व्यापारियों में काफी आक्रोश है और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की रणनीति बन रही है।