आर्थिक सहायता मांगते-मांगते चल बसे कैंसर पीड़ित बुजुर्ग, कोई नहीं आया मददगार
एकडला गांव निवासी बुजुर्ग को करीब तीन साल से कैंसर की बीमारी थी। कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में इलाज हो रहा था। उसके बेटे ने हंडिया निवासी अधिवक्ता रामचंद्र यादव के माध्यम से शासन से आर्थिक सहायता मांगी थी ताकि पिता का समुचित इलाज हो सके
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कैंसर के इलाज के लिए सरकार से आर्थिक सहायता की मांग करते-करते फूलपुर के एकडला गांव निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग के प्राण निकल गए। तीन महीने पहले उसके बेटे ने पोर्टल पर प्रार्थना पत्र भेजकर आर्थिक सहायता की गुहार लगाई थी। सत्यापन और रिपोर्ट भेजने में सरकारी कर्मचारियों से हुई चूक ने बुजुर्ग की आर्थिक सहायता स्वीकृति में पेंच फंसा दिया और अधिकारी नियमों की दुहाई देते रहे। आखिर मंगलवार को मरीज का दम टूट गया। परिवार के पास कोई सूचना तक नहीं पहुंच सकी कि अस्पताल के खाते में शासन से धनराशि आई या नहीं।
तीन साल से जूझ रहे थे इस रोग से
एकडला गांव निवासी बुजुर्ग को करीब तीन साल से कैंसर की बीमारी थी। कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में इलाज हो रहा था। उसके बेटे ने हंडिया निवासी अधिवक्ता रामचंद्र यादव के माध्यम से शासन से आर्थिक सहायता मांगी थी ताकि पिता का समुचित इलाज हो सके। लेकिन, प्रशासनिक अधिकारियों के अधीनस्थ ने शासन को अक्टूबर माह में जो रिपोर्ट भेजी उसमें मरीज को फरवरी 2020 में ही मृतक दिखा दिया जिससे आवेदन रद हो गया। दैनिक जागरण में 29 नवंबर को समाचार के माध्यम से इस प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया गया तो आनन फानन फूलपुर तहसील से एक अन्य रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करते हुए मरीज को आर्थिक सहायता का पात्र बताया गया। इसके बाद भी अब तक आर्थिक सहायता नहीं मिल सकी।
एक दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई है जनहित याचिका
अधिवक्ता रामचंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में मरीज को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए जनहित याचिका भी दाखिल कर दी थी लेकिन दूसरे ही दिन मरीज की मौत हो गई। कहा कि प्रशासनिक स्तर पर गंभीर लापरवाही हुई है।