Mother's Day 2021: मां की ममता और स्टाफ नर्स का दायित्व, ईमानदारी से निभा रहीं हैं दोनों फर्ज

अनीता मार्च 2021से सीएचसी रानीगंज में कोविड का टीका लगा रही हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में वह वैक्सीनेशन के काम में लगी हैं। अब तक वह करीब एक हजार लोगों को कोरोना का टीका लगा चुकी हैं। हर पल कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 06:56 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 06:56 PM (IST)
Mother's Day 2021: मां की ममता और स्टाफ नर्स का दायित्व, ईमानदारी से निभा रहीं हैं दोनों फर्ज
फर्ज निभाने के दौरान हर दिन मौत पास से गुजरती है। अब मौत से रोज का रिश्ता हो गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। एक तरफ मां का दिल, दूसरी तरफ स्टाफ नर्स का कर्तव्य। दोनों के बीच संतुलन बैठाते हुए काम करने का जज्बा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। फर्ज निभाने के दौरान हर दिन मौत पास से गुजरती है। अब तो मौत से रोज का रिश्ता हो गया है। कुछ इसी अंदाज में अपना जीवन जी रही हैं प्रतापगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रानीगंज में तैनात स्टाफ नर्स अनीता पटेल। वह अपने दो छोटे-छोटे बच्चों का ध्यान तो रखती ही हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण के लिए अपने फर्ज पर भी डटी हैं। इस तरह से मानवता का संदेश दे वह लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं।

स्टाफ नर्स अनीता पटेल के जज्बे से सहयोगी भी प्रभावित
चंदौली जिले के नसीरपुर वसीला निवासी अनीता पटेल वर्ष 2015 से सीएचसी रानीगंज में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत हैं। उनके दो बेटे हैं। छोटा बेटा अनुराग डेढ़ वर्ष और बड़ा बेटा अनुराग सात वर्ष का है। अनीता मार्च  2021से सीएचसी रानीगंज में कोविड का टीका लगा रही हैं। कोरोना के संक्रमण के भयंकर दौर में वह वैक्सीनेशन के काम में लगाई गई हैं। अब तक वह करीब एक हजार लोगों को कोरोना का टीका लगा चुकी हैं। जागरण से बातचीत में अनीता का कहती हैं कि वह मार्च से कोरोना का टीका लगा रही हैं। हर पल कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है, मगर वह सभी तरह का एहतियात बरतते हुए टीकाकरण में लगी हुई हैं। उन्हें इस बात का संतोष है कि कोरोना के इस संकट काल में वह भी किसी काम आ रही हैं। जिस समय लोगों को बुखार और दर्द से तड़पते देखती हैं तो अपना सब दर्द भूल जाती हैं। ऐसे में कई बार कोरोना पीडि़त मरीजों से संपर्क होता ही रहता है। ऐसा लगता है ना जाने किसके संपर्क में मौत से सामना हो जाए। हालांकि सिर्फ एक ही बात याद रहती है कि किस तरह मरीजों को आराम पहुंचाना है। घर पर दोनों छोटे बच्चों को भी देखना पड़ता है और इस काम में उनके पति हाथ बंटाते हैं। वह अपना काम भी करते हैं और इस समय वह हमारी जिम्मेदारी को ज्यादा महत्व देते हैं, ताकि एक दिन भी किसी रुकावट के वैक्सीनेशन का काम पूरा होता रहे। चौबीस घंटे में मरीजों को देखना है और बच्चों को भी ठीक से रखना है। दोनों तरफ संतुलन बैठाते हुए हम काम कर रहे हैं।
कभी-कभी अस्पताल से आते ही बच्चे मां से लिपटने का प्रयास करते हैं। हमेशा सावधानी होती है कि अस्पताल से लौटने के बाद साफ कपड़े पहनने और पूरी तरह से सैनिटाइज होने के बाद ही बच्चों के पास जाना होता है, लेकिन कई बार बच्चे अस्पताल से आते ही लिपट जाते हैं। उस समय ऐसा लगता है कि कहीं बच्चे उनकी वजह से संक्रमित ना हो जाएं। कोरोना का संक्रमण बहुत खतरनाक है और छोटे बच्चों का तो अभी टीकाकरण भी नहीं हुआ। ऐसा लगता है जैसे मौत पास से गुजर गई हो।  भगवान का शुक्र है कि अभी तक हम सभी बच्चे हुए हैं। सीएचसी अधीक्षक डा. अभिषेक ङ्क्षसह कहते हैं, जिस तरह से एएनएम अनीता पटेल अपना कर्तव्य निभा रही हैं, इसी तरह और भी लोगों की आवश्यकता है।

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