अब रोबोट से होगी रेलवे ट्रैक की देखभाल, सूक्ष्म वेल्डिंग में भी मददगार Prayagraj News
ट्रेनों के लगातार संचालन से कुछ अंतराल पर क्रासिंग ज्वाइंट के आगे का हिस्सा प्रभावित होता है। टे्रन के पहियों के घर्षण से यह घिस जाता है।
प्रयागराज [गिरजेश नायक]। ट्रेनों के संचालन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है रेलवे ट्रैक का रखरखाव। ट्रैक की वेल्डिंग अथवा अन्य कार्यों में छोटी सी भी चूक बड़े हादसे की वजह बन जाती है। क्रासिंग पर पटरियों की वेल्डिंग सबसे सेंसटिव व खर्चीली होने के साथ समय साध्य भी होती है। वैसे यह बात पुरानी हो चली है। रेलवे ने अब इसकी जुगत ढूढ़ ली है। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) ने सूक्ष्म वेल्डिंग के लिए रोबोट का सहारा लेना शुरू कर दिया है। यह कम समय में ट्रैक को वेल्ड कर देता है, वह भी त्रुटिहीन।
ट्रैक मेंटीनेंस में लगता है कम समय
ट्रेनों के लगातार संचालन से कुछ अंतराल पर क्रासिंग ज्वाइंट के आगे का हिस्सा प्रभावित होता है। टे्रन के पहियों के घर्षण से यह घिस जाता है। इसे ठीक नहीं किए जाने पर गाड़ी के पहियों के फिसलने का खतरा होता है और कई बार यही बात रेल दुर्घटना का सबब बन जाती है। क्रासिंग ज्वाइंट की इस खामी को दूर करने के लिए ट्रैक मेंटीनेंस विभाग को काफी मशक्कत करना पड़ती है। काफी देर तक ब्लाक लेना पड़ता है। रेल क्रासिंग के हिस्से को वहां से उठाकर ले जाया जाता है फिर दुरुस्त करके पुन: स्थापित किया जाता है जहां फिर से वेल्डिंग की जाती है। अब तक यह काम मैनुअली होता था और कई बार मानवीय चूक हो जाती थी। इसे दूर करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे ने रोबोटिक वेल्डिंग का सहारा लिया है।
कम समय में ही काम पूरा
छोटे से रोबोट को प्रोग्रामिंग के जरिए क्रासिंग पर फिट कर दिया जाता है। रोबोट कुछ समय के भीतर पटरियों कीे वेल्डिंग आदि कर ठीक कर देता है। इस कवायद में क्रासिंग के हिस्से को हटाकर कहीं और ले जाने की जरूरत नहीं होती है।
नई खोज टॉप 20 कामों में
रेलवे बोर्ड ने उत्तर मध्य रेलवे की इस नई खोज को 20 अच्छे कार्यों में शामिल करते हुए उसकी प्रशंसा भी की है। टै्रक मेंटिनेंस की इस नई प्रणाली को अब समूचे भारतीय रेल में लागू किया जाएगा। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि क्रासिंग पर वेल्डिंग की खामियों को कम श्रम और समय में ठीक करने के लिए उत्तर मध्य रेलवे ने ट्रांस्लमेंटिक रोबोटिक प्रणाली ईजाद की है। इससे कार्य की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ जाती है।