इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जैविक खेती पर जोर, प्रयागराज में गंगा किनारे 7500 एकड़ खेत में तैयार होगी फसल
फसलों में रसायन का उपयोग होने से लोग गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में परंपरागत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से पहल की गई है। इसमें धान तिलहन दलहन गेहूं आलू और सब्जी की खेती कराई जाएगी।
प्रयागराज, अतुल यादव। कोरोनाकाल में संक्रमण से बचाव के लिए लोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ही इससे बचा जा सकता है। इसके लिए अब जैविक खान पर जोर दिया जा रहा है। इसलिए कृषि विभाग ने भी लोगों तक पौष्टिक से भरपूर अनाज पहुंचाने की पहल शुरू कर दी है। कृषि विभाग ने जैविक खेती करवाने के लिए 7500 एकड़ खेती चिह्नित की है। इसके लिए किसान भी तैयार हैं।
गंगा किनारे जैविक खेती के लिए बढ़े 64 क्लस्टर
नमामि गंगे योजना के तहत कृषि विभाग की ओर से गंगा किनारे के गांवों में जैविक खेती कराई जा रही है। इस बार कोरोना को देखते हुए इसमें 64 क्लस्टर और बढ़ा दिए गए हैं। गंगा किनारे वाले 108 गांव में इस बार 150 क्लस्टर और 32 एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन) बनाए गए हैं। जबकि पिछले वर्ष 86 क्लस्टर बनाए गए थे। एक क्लस्टर में 50 एकड़ खेती होती है। इस तरह जिले में 7500 एकड़ में सात हजार किसान जैविक खेती करेेंगे। एक एफपीओ में 500-1500 किसान शामिल किए गए हैं। जिला कृषि अधिकारी डॉ. अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि फसलों में रसायन का उपयोग होने से लोग गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में परंपरागत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से पहल की गई है। इसमें धान, तिलहन, दलहन, गेहूं, आलू और सब्जी की खेती कराई जाएगी।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव बताते हैं कि जैविक कीटनाशी ट्राइकोडरमा या बबेरिया बैसियाना (फफूद) का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खाद वाली फसल सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होती है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कोरोना से लडऩे को ताकत मिलती है।
जिला कृषि अधिकारी का है कहना
नमामि गंगे योजना के तहत जैविक खेती के लिए इस बार 150 क्लस्टर और 32 एफपीओ बनाए गए हैं। करीब 7500 एकड़ में जैविक खेती कराई जाएगी। इस फसल में पोषक तत्व ज्यादा होंगे, जो कोरोना को हराने में कारगर होंगे।
- डॉ. अश्वनी कुमार, जिला कृषि अधिकारी