प्रख्‍यात रसायनज्ञ व मृदाविज्ञानी डॉ. नीलरत्न धर ने Indira Gandhi से पद्मविभूषण लेने से इंकार किया था

प्रो. सिंह बताते हैं कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब उन्हें पद्मविभूषण का अलंकरण देना चाहा तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। पद्मविभूषण को अस्वीकार करते समय कहा कि मेरे शिष्यों के ह्रदय में मेरे प्रति अत्यधिक सम्मान की भावना है। इससे बढ़कर और सम्मान क्या हो सकता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 08:21 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 08:21 AM (IST)
प्रख्‍यात रसायनज्ञ व मृदाविज्ञानी डॉ. नीलरत्न धर ने Indira Gandhi से पद्मविभूषण लेने से इंकार किया था
रसायनज्ञ तथा मृदविज्ञानी डॉ. नीलरत्न धर ने पद्मविभूषण का अलंकरण लेने से मना कर दिया था।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बेमिसाल रहा है। इन्हीं एक थे डॉ. नीलरत्न धर। वे विश्वविख्यात रसायनज्ञ तथा मृदविज्ञानी थे। उन्होंने अपनी उपलब्धियों से देश-विदेश में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का नाम रोशन किया। उनका जीवन मृदा रसायन के क्षेत्र में खोज एवं शोध के लिए समर्पित था। उनके मेधावी छात्रों की सूची काफी लंबी है।  उन्होंने इंदिरा गांधी से पद्मविभूषण लेने से मना कर दिया था।

बंगलादेश के जैसोर में डॉ. नीलरत्न के नाम पर है मुख्य मार्ग

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशात्र विभाग के अध्यक्ष प्रो.जगदंबा सिंह बताते हैं कि डॉ.नीलरत्न धर का जन्म दो जनवरी 1892 को कलकत्ता से करीब 90 किमी दूर जैसोर में हुआ था। यह जिला अब बंगलादेश में है। आरंभिक शिक्षा जैसोर से प्राप्त करने के बाद नीलरत्न ने कलकत्ता एवं प्रेसीडेंसी कालेज में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने हाईस्कूल से लेकर एमएससी तक की सभी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में प्राप्त की थी। 1913 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमएससी करने के बाद उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय में हो गई। तीन सितंबर 1914 को उन्होंने दो सौ पौंड प्रतिमाह की छात्रवृति पर यूरोप चले गए।

प्रयागराज के म्योर सेंट्रल कालेज में प्रोफेसर बने

19 जुलाई 1919 को उन्होंने प्रयागराज के म्योर सेंट्रल कालेज में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष अकार्बनिक और भौतिक रसायन विभाग का पदभार ग्रहण किया। उस समय डा. धर के पास इलाहाबाद के अतिरिक्त मद्रास, अमृतसर, रंगून, कलकत्ता तथा लाहौर में प्रोफेसर पद के प्रस्ताव थे। उन्होंने प्रयागराज को देश का मध्यवर्ती भाग होने तथा उसके पौराणिक ऐतिहासिक महत्व के कारण चुना।

नोबेल पुरस्कार के लिए भी गया था नाम

प्रो. जगदंबा सिंह बताते हैं कि डॉ. नीलरत्न धर को देश विदेश की तमाम विज्ञान अकादमियों, संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों ने समय-समय पर सम्मानित किया। उन्हें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया। अनेक अकादमियों ने उन्हें अपना फैलो चुना। किन्हीं कारणों से वे एफआरएस जैसी बहु प्रतिष्ठित उपाधि के लिए नहीं चुने गए। मास्को के प्रख्यात मृदाविज्ञानी डॉ. विक्टर कोब्डा तथा इंग्लैंड की ईव वेल्फोर ने डॉ. धर के नाम की संस्तुति नोबेल पुरस्कार के लिए की थी। फिर अज्ञात कारणों से उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए सम्मानित नहीं किया गया।

पद्मविभूषण का अलंकरण विनम्रतापूर्वक मना कर दिया

प्रो. सिंह बताते हैं कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब उन्हें पद्मविभूषण का अलंकरण देना चाहा तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। उन्होंने पद्मविभूषण को अस्वीकार करते समय कहा कि मेरे शिष्यों के ह्रदय में मेरे प्रति अत्यधिक सम्मान की भावना है। इससे बढ़कर मेरे लिए और सम्मान क्या हो सकता है।

chat bot
आपका साथी