सिद्ध नहीं, पल-पल शुद्ध होने का प्रयास करो :मोरारी बापू

त्रेता युग में प्रभु श्रीराम-निषादराज के मिलन के साक्षी श्रृंगवेरपुर धाम में मोरारी बापू की कथा सुनने श्रद्धालु जुटे रहे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 01:11 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 01:11 AM (IST)
सिद्ध नहीं, पल-पल शुद्ध होने का प्रयास करो :मोरारी बापू
सिद्ध नहीं, पल-पल शुद्ध होने का प्रयास करो :मोरारी बापू

प्रयागराज : त्रेता युग में प्रभु श्रीराम-निषादराज के मिलन के साक्षी श्रृंगवेरपुर धाम सदियों बाद पुन: राममय हो गया। श्रीरामचरितमानस के मर्मज्ञ मुरारी बापू ने श्रीराम कथा के जरिए उनकी महिमा बखानी। श्रीराम के चरित्र का गुणगान करते हुए श्रोताओं को सनातन धर्म के संस्कार, समर्पण, संस्कृति व सभ्यता के मर्म को आत्मसात कराया। तुलसी साहित्य सम्मेलन मैदान में मंगलवार को हनुमान जी की स्तुति से श्रीराम कथा का आरंभ करते हुए बापू ने हृदय में उतरने वाली मृदुभाषा से कहा कि संस्कार जोड़ता है। वहीं विकार तोडऩे का काम करता है। रामायण का यही महामंत्र है। जीवन में धर्म व सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए। कोई प्रश्नचिह्न खड़ा करे तो सिद्ध करने की चेष्टा न करो। सिद्ध करने में जिंदगी निकल जाएगी, बल्कि पल-पल शुद्ध होने का प्रयास करना चाहिए।

अयोध्या में तीन दिन कथा कहने के बाद चौथे दिन प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम आए मुरारी बापू ने कहा कि तुलसी जी के बारे में बहुत सी उंगलिया उठी है। किसी ने बताया कि जहा श्रीमद् शब्द आगे नहीं लगता वह शास्त्र नहीं माने जाते। जैसे श्रीमद्भगवत, श्रीमद्भगवत गीता, वाल्मीकि रचित रामायण। तुलसी के बारे में कहा गया कि रामचरितमानस शास्त्र नहीं है। इस पर हम खोज करते हैं तुलसी का उपक्त्रम और उपसंहार दोनों स्वात: सुखाय है। बापू ने वैष्णव के लिए यमुनाष्टक के बारे में कहा यमुनाष्टक के पाठ करने से चरणों में प्रीति बढ़ेगी। श्रीराम के वनवास जाने और लौटने तक अयोध्या की आबादी में न वृद्धि हुई, ना किसी की मृत्यु हुई। यह अवधि अयोध्यावासियों का संयम व नियम का पर्याय है। कथा में संजय तिवारी, अरुण द्विवेदी, बालकृष्ण पाडेय, उमेश द्विवेदी सियाराम सरोज, प्रदीप केशरवानी, राकेश केशरवानी, श्याम उपाध्याय शिव विशाल तिवारी, भानु पाडेय मौजूद रहे।

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20 साल बाद आया हूं

मुरारी बापू ने कहा कि 20 साल पहले 2001 में श्रृंगवेरपुर आया था। आज फिर आया हूं। श्रृंगवेरपुर की धरा समर्पण का आधार है। हर व्यक्ति को श्रृंगवेरपुर आना चाहिए। बापू ने गंगा जी को प्रणाम किया। कहा कि निषाद पूरे समाज को लेकर आया है सत्य व परमसत्य खुद चलकर आया है। विशाद पूर्ण संवाद निषाद विषाद से लक्ष्मण से संवाद करता है। संवाद पूर्ण संवाद सुमंत और राम का संवाद और प्रसाद पूर्ण संवाद राम और गुह का संवाद। बापू ने एक मनोरथ बताया कि ऐसी कथा पंचवटी से शुरू करके शबरी धाम और रामेश्वर होते हुए लंका और वहा से अयोध्या आकर समापन करेंगे।

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नरेंद्र गिरि की समाधि को किया नमन

मुरारी बापू ने श्री मठ बाघम्बरी गद्दी स्थित अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की समाधि पर पुष्प अर्पित करके नमन किया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि सच्चे धर्माचार्य थे। इस दौरान मठ के महंत बलवीर गिरि, महामंडलेश्वर संतोष दास 'सतुआ बाबा' आदि मौजूद रहे। बापू ने बाध के नीचे रामघाट के पास बने कथा पंडाल में अपनी बस में बनी कुटिया में रात्रि प्रवास किया।

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आज 10 बजे से कथा

मुरारी बापू की कथा बुधवार की सुबह 10 बजे शुरू होगी। रामघाट के पास प्रशासनिक कार्यालय पर उनकी कथा दोपहर डेढ़ बजे तक चलेगी।

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