नार्थ सेंट्रल रेलवे के 267 इलेक्ट्रिक इंजन खुद बना रहे अपनी बिजली, पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण की दिशा में अहम पहल
UP Latest News एनसीआर में इस समय 267 इंजन नई टेक्नोलाजी से बिजली भी बना रहे हैं। इनमें 76 यात्री ट्रेन और 191 मालगाड़ियां हैं। पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण के साथ सुरक्षा संरक्षा की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है।
प्रयागराज [अमरीश मनीष शुक्ल]। कहावत पुरानी है आम के आम, गुठलियों के भी दाम...। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के थ्री फेज लोकोमोटिव इलेक्ट्रिक इंजन इस इन दिनों साकार कर रहे हैं। ट्रेन को खींचने के दौरान ही वह बिजली बनाकर ग्रिड को भेज रहे हैं। जितनी भी बार ब्रेक लगता है, जेनरेटर काम करना शुरू कर देता है। इसकी मोटर (अल्टरनेटर) रेल चक्कों की यांत्रिक ऊर्जा से बिजली बनाने लगती है और पेंटों के माध्यम से बिजली सीधे ओएचई होते हुए ग्रिड में जाती है।
एक साथ पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण के लिए एनसीआर में इस समय 267 इंजन नई टेक्नोलाजी से बिजली भी बना रहे हैं। इनमें 76 यात्री ट्रेन और 191 मालगाड़ियां हैं। ब्रेक एवं पहिए कम घिस रहे हैं, इंजन गर्म नहीं होने से संरक्षा सुरक्षा बढ़ रही है। एक इंजन अपनी जरूरत का 10 से 14 प्रतिशत बिजली खुद उत्पन्न कर रहा है। टेक्नोलाजी जिस तरह उन्नत हो रही है, उसमें अनुमान यही है कि यह प्रतिशत और बढ़ेगा। नई तकनीक में ब्रेक लगाने में खर्च होने वाली ऊर्जा भी बच रही है।
थ्री फेज इंजनों का कमाल : पहले इलेक्ट्रिक रेल इंजन टू फेज वाले डीसी करंट (डायरेक्ट करंट जो एक ही दिशा में बहता है) से चलते थे। अब थ्री फेज के एसी करंट (अल्टरनेटिंग करंट यह दिशा बदलता रहता है) से चल रहे हैं और ऐसे ही इंजनों ने यह बदलाव किया है। री-डिजाइन इंजनों में री-जेनरेटिंग ब्रेकिंग सिस्टम है। ब्रेक लगाते ही सप्लाई बंद हो जाती है, पहियों की गति से बनी यांत्रिक ऊर्जा रिवर्स चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है और जेनरेटर की मोटर रिवर्स गति करते हुए अल्टरनेटर का कार्य कर बिजली बनाने लगती है।
36 करोड़ रुपये की बिजली की बचत : उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ डा. शिवम शर्मा ने बताया कि पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण के साथ सुरक्षा संरक्षा की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है। आगे और उन्नत इंजन बनेंगे। एनसीआर ने अप्रैल से जून के बीच 36 करोड़ रुपये कीमती बिजली की बचत की है।
जानें- कितनी बिजली बनाते हैं ये इंजन 13250 यूनिट बिजली का उपयोग राजधानी एक्सप्रेस प्रयागराज से दिल्ली की दूरी तय करने में करती है और इनमें 1600 (12 प्रतिशत) यूनिट बिजली का उत्पादन करता है इसका इंजन। 14000 यूनिट बिजली का खर्च करती है। वंदे भारत प्रयागराज से दिल्ली के बीच और 1900 (13.56 प्रतिशत) यूनिट बिजली बनाती है। 10 करोड़ रुपये एक इंजन की कीमत है। इसकी उम्र 35 वर्ष होती है। 3 महीने में 36.1 करोड़ रुपये की बिजली की बचत हुई। 600.17 लाख किलोवाट बिजली अप्रैल से जून के बीच बनी 40 किमी दूर से ही स्टापेज से पहले ब्रेक का इस्तेमाल होने लगता है।