परिषदीय स्कूल के जर्जर भवनों का ध्वस्तीकरण नहीं हो सका, सूची जारी कर चुप बैठक गया विभाग
बेसिक शिक्षाधिकारी ने कहा है कि अब सभी खंड शिक्षाधिकारी अपने क्षेत्र के जर्जर हो चुके परिषदीय स्कूलों के भवनों को शत प्रतिशत ध्वस्त कराएं। इसकी सूचना भी तीन दिन के भीतर अनिवार्य रूप से दें जिससे मुख्य विकास अधिकारी को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा सके।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। परिषदीय स्कूलों के जर्जर हो चुके भवनों को चिह्नित कर उसकी सूची जारी की गई थी। इसके बाद भी प्रयागराज के कई विकास खंडों में सभी भवनों का ध्वस्तीकरण नहीं हो सका। न इस संबंध में किसी तरह की सूचना ही मुख्यालय को उपलब्ध कराई गई। अब इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षाधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने खंड शिक्षाधिकारी कोरांव, कौधियारा, कौड़िहार, चाका, नगरक्षेत्र, प्रतापपुर, बहरिया, बहादुरपुर, शंकरगढ़, सैदाबाद, मेजा व होलागढ़ को पत्र लिखा है।
सीडीओ ने मांगी रिपोर्ट, बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया
बेसिक शिक्षाधिकारी ने कहा है कि मुख्य विकास अधिकारी ने भी इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है। यह भी निर्देशित किया गया है कि अब तक इस प्रक्रिया में देरी क्यों की गई, लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाए। अब सभी खंड शिक्षाधिकारी अपने क्षेत्र के जर्जर हो चुके परिषदीय स्कूलों के भवनों को शत प्रतिशत ध्वस्त कराएं। इसकी सूचना भी तीन दिन के भीतर अनिवार्य रूप से दें, जिससे मुख्य विकास अधिकारी को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा सके।
19 पैरामीटर पर संतृप्त होंगे सभी स्कूल
आपरेशन कायाकल्प के तहत जनपद के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प किया जा रहा है। इसमें कुल 19 बिंदुओं का मानक तय है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को तेज करने का आग्रह किया है। इन मानकों में विद्यालय में पीने के पानी की व्यवस्था, रसोईघर में टाइल्स लगाने, शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त कराने, दिव्यांग बच्चों को चलने के लिए रैंप बनाने, डस्टबिन रखने आदि के निर्देश हैं।
माडल स्कूलों को भी विकसित करना है
इसके अतिरिक्त स्कूल भवन को भी दुरुस्त कराना है। बिजली आदि के इंतजाम किए जा रहे हैं। शासन की मंशा है कि परिषदीय स्कूल में भी आधारभूत सुविधाएं मिले। उसके बाद बच्चों के पठन-पाठन का स्तर सुधरा जाए। कुछ स्कूलों को माडल स्कूल के रूप में भी विकसित किया जाना है, जिससे उनकी तुलना कान्वेंट स्कूलों से की जा सके।