New President Akhara Parishad: महंत रवींद्र पुरी सामान्य संन्यासी से बने निरंजनी अखाड़े के संकटमोचक

मिलनसार स्वभाव और अखाड़े के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी की पहचान है। यही बात उन्हें दूसरे महात्माओं से अलग करती है। सारे अखाड़ों के प्रमुख महात्माओं से उनके आत्मीय रिश्ते हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:00 AM (IST)
New President Akhara Parishad: महंत रवींद्र पुरी सामान्य संन्यासी से बने निरंजनी अखाड़े के संकटमोचक
श्रीनिरंजनी अखाड़ा के विस्तार में है रविंद्र पुरी का अहम योगदान

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सूझबूझ भरा व्यक्तित्व, मिलनसार स्वभाव और अखाड़े के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी की पहचान है। यही बात उन्हें दूसरे महात्माओं से अलग करती है। सारे अखाड़ों के प्रमुख महात्माओं से उनके आत्मीय रिश्ते हैं। विरोधी भी उन पर खुलकर विरोध करने से बचते हैं। रविंद्र पुरी श्रीनिरंजनी अखाड़ा के कर्ताधर्ता होने के साथ संकटमोचक भी कहलाते हैं। हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक, उज्जैन , नई दिल्ली, वाराणसी सहित देशभर के विभिन्न शहरों में श्रीनिरंजनी अखाड़ा के मंदिर, आश्रम व विद्यालय हैं। जब कहीं कोई समस्या आती है तो उसका निस्तारण रविंद्र पुरी कराते हैं। कह सकते हैैं कि अखाड़े के विस्तार में उनकी भूमिका अहम है।

वर्ष 1980 में दिल्ली स्थित आश्रम में रामानंद पुरी ने दिलाया था संन्यास

दिल्ली स्थित श्रीनिरंजनी अखाड़ा के आश्रम में रविंद्र पुरी ने 1980 में रामानंद पुरी से संन्यास लिया था। सामान्य संन्यासी की तरह काम करते रहे। शिक्षा से जुड़ी गतिविधियों में रुचि होने, ईमानदार व मिलनसार स्वभाव को देख वर्ष 1994 में उन्हें थानापति बनाया गया। फिर 2001 में उपमहंत व 2003 में श्रीमहंत बने। मौजूदा समय श्रीनिरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष और सचिव दोनों हैं। श्रीनिरंजनी अखाड़ा के जरिए संचालित मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट हरिद्वार, एमएम जैन पीजी कालेज, श्रवण नाथ मठ हरिद्वार व साधु संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार के अध्यक्ष, रामानंद इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट फार्मा एंड टेक्नोलाजी के चेयरमैन की भूमिका भी निभा रहे हैं।

बद्रीनाथ धाम का नाम बदलने के षडय़ंत्र का विरोध

प्रयागराज: अखाड़ा परिषद की बैठक में कुछ प्रस्ताव भी पारित हुए। इसमें महानिर्वाणी अखाड़ा के सुधीर गिरि की हत्या की जांच, उदासीन अखाड़े के कोठारी मोहन दास के लापता होने की सीबीआइ जांच कराने की मांग की गई। देवबंद पर उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम का नाम बदलने संबंधी षडय़ंत्र का आरोप लगाते हुए उसकी कड़े शब्दों में निंदा की। वक्ताओं ने कहा कि दोबारा ऐसी अनर्गल मांग उठी तो अखाड़ा परिषद कानूनी लड़ाई लडऩे के साथ सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराएगा। प्रयागराज सहित समस्त प्राचीन मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग संबंधी प्रस्ताव भी पारित किया गया।

किसने क्या कहा

समस्त अखाड़ों के समर्थन से मैं अध्यक्ष बना हूं। संख्याबल के आधार पर भी हमारा बहुमत है। इससे इतर चुनाव मान्य नहीं है। मैं ब्रह्मलीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के कार्यों को पूरा करुंगा।

श्रीमहंत रविंद्र पुरी, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

नियम, कानून और परंपरा के अनुरूप नए अध्यक्ष का चुनाव हुआ है। जो प्रतिनिधि किन्हीं कारणवश नहीं आए, वह अगली बैठक में शामिल होंगे, ऐसी उम्मीद है।

महंत हरि गिरि, महामंत्री अखाड़ा परिषद

कोर्ट ने मुझे निर्मल अखाड़ा का अध्यक्ष माना है। मेरे अलावा निर्मल अखाड़ा से जो लोग किसी बैठक में गए हैं, उनका अस्तित्व नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ जरूरत पडऩे पर कानूनी कार्रवाई करेंगे।

श्रीमहंत रेशम सिंह, निर्मल अखाड़ा

अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष का चुनाव नियम व परंपरा के अनुसार किया गया है। तय तारीख से पहले चुनाव करना नियम व कानून के विरुद्ध है। ऐसे चुनाव को कोई मान्यता नहीं है।

महामंडलेश्वर यतींद्र आनंद गिरि

हरिद्वार में किया गया चुनाव मनमाना व परंपरा के विरुद्ध है। उस चुनाव को हम खारिज करते हैं। जरूरत पडऩे पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

श्रीमहंत सोमेश्वरानंद, अग्नि अखाड़ा

21 अक्टूबर को अखाड़ा परिषद का चुनाव हो चुका है। उसमें समस्त अखाड़ों के महात्माओं को प्रतिनिधित्व मिला है। श्री निरंजनी अखाड़ा प्रयागराज में हुआ चुनाव अवैध है। उसे कोई मान्यता नहीं है।

श्रीमहंत राजेंद्र दास, अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट के महामंत्री

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