Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी ने प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में अपने सहपाठी के घर पर किया था भोजन

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 कोलकाता निवासी प्रो. चट्टोपाध्याय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए थे। वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सहपाठी थे। 1939 में प्रो. क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय के दारागंज आवास पर नेताजी आए थे और भोजन किया था।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 08:20 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 07:55 AM (IST)
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी ने प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में अपने सहपाठी के घर पर किया था भोजन
नेता जी की 125 वीं जन्मतिथि पर देशवासियों के साथ यहां चट्टोपध्याय परिवार भी उन्हें याद कर रहा है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर का दारागंज मोहल्ला मुगल काल में बसा था। मुगल शासक शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह के नाम पर इस मोहल्ले का नाम पड़ा है। गंगातट पर बसा यह मोहल्ला बेहद घनी आबादी वाला इलाका है। इस इलाके में प्राचीन समय से संस्कृत एवं साहित्य के उदभट् विद्वान रहते आए हैं। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, प्रभात शास्त्री आदि विद्वान इसी इलाके में रहे हैं। इन्हीं में एक संस्कृत के प्रख्यात विद्वान प्रो. क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय भी दारागंज मोहल्ले में रहते थे।

कोलकाता निवासी प्रो. चट्टोपाध्याय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए थे। वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सहपाठी थे। 1939 में प्रो. क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय के दारागंज आवास पर नेताजी आए थे और भोजन किया था। अब 23 जनवरी को नेता जी की 125 वीं जन्मतिथि पर देश वासियों के साथ ही यहां चट्टोपध्याय परिवार भी उन्हें याद कर रहा है। 

कोलकाता में साथ पढ़ाई के बाद लंदन और प्रयागराज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो.एमसी चट्टोपाध्याय बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके पिता क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कालेज में एक साथ पढ़ते थे। दोनों ने ही 1913 प्रेसीडेंसी स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी। फिर 1919 में बीए की परीक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की थी। छात्र जीवन से दोनों में काफी प्रगाढ़ता थी। पिताजी अकसर बातचीत में नेताजी की चर्चा करते थे। उनकी विद्वता के बारे में बताते थे। बाद में बोस लंदन चले गए और जबकि चट्टोपाध्याय प्रयागराज आ गए। यहां उनकी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में नियुक्ति हो गई। अप्रैल 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद से नेताजी ने इस्तीफा दे दिया था। पांच मई को उन्होंने फारवर्ड ब्लाक दल का गठन कर लिया था। अपने दल को मजबूत करने के लिए नेताजी ने पूरे देश में भ्रमण किया था। इसी सिलसिले में वे प्रयाग आए थे।

प्रयाग आने की सूचना उनके पिता क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय को पहले ही दी थी

पूर्व प्रो. एमसी चट्टोपाध्याय बताते हैं कि नेताजी ने प्रयाग आने की  सूचना उनके पिता क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय को पहले ही दे रखी थी। प्रयाग में विभिन्न स्थानों पर बैठक आदि करने के बाद वे मेरे घर दारागंज आए थे। दारागंज में किराए के मकान में उनके पिता जी रहते थे। यहां नेताजी काफी देर तक रहे। उन्होंने घर पर भोजन भी किया था।

प्रो.चट्टोपाध्याय को पत्र भी लिखते थे सुभाष चंद्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने सहपाठी प्रो.क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय को पत्र भी लिखते थे। एक दो महीने में बोस का पत्र प्रो.चट्टोपाध्याय के पास आ जाता था। वे भी उसका जवाब उन्हें दिया करते थे। प्रो.चट्टोपाध्याय के पुत्र प्रो.एमसी चट्टोपाध्याय बताते हैं कि कलकत्ता से प्रयाग आने के बाद से उनके पिताजी का सुभाष चंद्र से पत्र के माध्यम से बातचीत का सिलसिला जारी रहा। पिताजी कलकत्ता जब भी जाते थे तो यदि बोस वहां होते थे उनसे जरूर मिलते थे। हालांकि नेताजी सक्रिय रूप से आजादी के आंदोलन में भाग ले रहे थे इसलिए उनका मिलना कम होता था। पिताजी शिक्षण में व्यस्त रहते थे।

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